शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: आपदा के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों की लूट, ठेकेदारों और अफसरों की मिलीभगत का पर्दाफाश

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश में आपदा प्रबंधन की आड़ में बड़ा भ्रष्टाचार चल रहा है। राज्य में प्राकृतिक संसाधनों की संगठित तरीके से लूट की जा रही है। सुरिंदर पाप्टा ने आरोप लगाया है कि नियमों को तोड़कर चहेतों को ठेके दिए जा रहे हैं। डिज़ास्टर कार्यों में पारदर्शिता की जगह राजनीतिक संरक्षण हावी है। यह खेल अधिकारियों और नेताओं की मिलीभगत से चल रहा है।

राजनीतिक संरक्षण में ठेकेदारी का खेल

सत्ता बदलने के साथ ही यहां ठेकेदार भी बदल जाते हैं। कांग्रेस की सरकार में कांग्रेस समर्थित लोगों को काम मिलता है। बीजेपी के राज में बीजेपी समर्थित ठेकेदारों की चांदी होती है। आपदा के लिए आया बजट जनता तक नहीं पहुंच रहा है। यह पैसा सीधे ठेकेदारों और अफसरों की जेब में जा रहा है। विकास के नाम पर सरकारी खजाने को चूना लगाया जा रहा है।

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अवैध खनन से करोड़ों का वारा-न्यारा

पहाड़ों और नदियों में खनन पर सख्त प्रतिबंध है। इसके बावजूद अवैध खनन का काला कारोबार जारी है। यहां से रोज 100 गाड़ियां खनन सामग्री लेकर निकलती हैं। रॉयल्टी केवल 2 गाड़ियों की ही जमा होती है। बाकी 98 गाड़ियों का पैसा मिल-बांट कर खाया जाता है। इस लूट के खिलाफ बोलने वालों को धमकाया जाता है।

सरकारी सामग्री की खुलेआम चोरी

निर्माण कार्यों में भी बड़ी धांधली सामने आई है। सड़कों और दीवारों के निर्माण से निकले पत्थर निजी लोगों को बेचे जा रहे हैं। ठेकेदार सरकारी सामग्री को चोरी कर मुनाफा कमा रहे हैं। यह खेल लंबे समय से बेरोकटोक चल रहा है। पुलिस और वन विभाग के अधिकारी सब जानकर भी अनजान बने हुए हैं। अवैध साइटों पर अफसरों की मोबाइल लोकेशन होने पर भी कार्रवाई नहीं होती है।

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रोहड़ू में नियमों की अनदेखी

रोहड़ू क्षेत्र में बिना फॉरेस्ट क्लीयरेंस के दर्जनों सड़कें बन रही हैं। मलबे के लिए डंपिंग साइट का कोई इंतजाम नहीं है। पेड़ों को काटकर मलबे में ही दबाया जा रहा है। नदी-नालों में मलबा फेंककर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ड्रोन और जीपीएस तकनीक होने के बाद भी उसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है। मांग की गई है कि सभी डिज़ास्टर कार्यों का ड्रोन ऑडिट तुरंत किया जाए।

Author: Surender Papta

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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