Himachal News: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन एक अहम विधेयक लटक गया है। सरकार ने सदन में हिमाचल प्रदेश भू-अभिधृति एवं भूमि सुधार (संशोधन) विधेयक 2025 पास कराने की कोशिश की। लेकिन विपक्ष के भारी विरोध के कारण ऐसा नहीं हो सका। विपक्ष की मांग को मानते हुए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजने पर सहमति जताई। अब स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने विधेयक को प्रवर समिति (Select Committee) को सौंप दिया है।
बजट सत्र में फिर आएगा बिल
राजस्व मंत्री को जल्द ही इस समिति के गठन की अधिसूचना जारी करनी होगी। समिति में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के विधायक शामिल होंगे। यह कमेटी विधेयक के सभी पहलुओं की जांच करेगी। सेलेक्ट कमेटी अपनी रिपोर्ट और ऑब्जर्वेशन तैयार करेगी। इसके बाद हिमाचल प्रदेश विधानसभा के आगामी बजट सत्र में इस विधेयक को दोबारा पेश किया जाएगा।
धारा 118 में क्या होगा बदलाव?
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने मंगलवार को यह विधेयक सदन में रखा था। सरकार 1972 के अधिनियम की धारा 118 में संशोधन करना चाहती है। नए प्रस्ताव के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में बने भवनों को 10 साल तक लीज पर दिया जा सकेगा। इस प्रक्रिया को धारा 118 की मंजूरी से बाहर रखा जाएगा। अगर यह कानून बनता है, तो हिमाचल प्रदेश के गांवों में गैर-कृषक आसानी से भवन किराए पर ले सकेंगे।
पर्यटन और स्टार्टअप को मिलेगी मदद
सरकार का कहना है कि इस बदलाव से छोटे व्यवसायों को फायदा मिलेगा। इसका सीधा लाभ स्टार्टअप और ग्रामीण पर्यटन को होगा। संशोधन में यह भी साफ किया गया है कि सरकारी कंपनियों या निकायों द्वारा अधिग्रहीत भूमि को छूट मिलेगी। राजस्व मंत्री ने भरोसा दिलाया कि स्थानीय किसानों की जमीन सुरक्षित रहेगी। सरकार केवल नियमों को आधुनिक आर्थिक जरूरतों के हिसाब से लचीला बनाना चाहती है।
