Himachal News: लाहौल स्पीति की घेपल झील का दायरा खतरनाक रूप से बढ़ गया है। जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने से झील का आकार बढ़ रहा है। यह झील समुद्र तल से 13,583 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। पिछले 33 वर्षों में झील का क्षेत्रफल 173 प्रतिशत बढ़ चुका है।
नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर ने चेतावनी जारी की है कि झील के टूटने से भयंकर तबाही हो सकती है। इसकी चपेट में हिमाचल प्रदेश से लेकर जम्मू और पाकिस्तान तक के इलाके आ सकते हैं। झील में अभी 35.08 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी जमा हो चुका है।
झील का बढ़ता खतरा
घेपल झील अब 101.30 हेक्टेयर क्षेत्र में फैल चुकी है। इसकी लंबाई 2.5 किलोमीटर तक पहुंच गई है। वैज्ञानिकों ने झील की लंबाई 2,464 मीटर और चौड़ाई 625 मीटर मापी है। ग्लेशियर के तेजी से पिघलने के कारण झील का पानी स्तर लगातार बढ़ रहा है।
इस झील को अब संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। केंद्रीय जल आयोग और सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग लंबे समय से इस पर शोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि अगर पानी का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो झील के टूटने का खतरा बढ़ जाएगा।
प्रशासन ने उठाए कदम
लाहौल-स्पीति की उपायुक्त किरण बडाना ने बताया कि विशेषज्ञों की टीम ने झील का निरीक्षण किया है। हिमाचल प्रदेश का पहला अर्ली वार्निंग सिस्टम यहां स्थापित किया जाएगा। यह सिस्टम सैटेलाइट तकनीक पर काम करेगा।
यह सिस्टम मौसम विभाग और प्रशासन को समय रहते सूचना देगा। इससे संभावित खतरे से निपटने के लिए पहले से तैयारी की जा सकेगी। अटल टनल के पार सिस्सू गांव के ऊपर स्थित इस झील तक पहुंचने में छह से सात घंटे का पैदल सफर तय करना पड़ता है।
पर्यटन पर प्रभाव
घेपल झील ट्रैकर्स के बीच एक लोकप्रिय स्थान रहा है। अब बढ़ते खतरे के कारण इस इलाके में आने वाले ट्रैकर्स की सुरक्षा चिंता का विषय बन गई है। प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है।
झील के आसपास के इलाकों में मौसम के पैटर्न में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। जलवायु परिवर्तन का सीधा प्रभाव इस पूरे क्षेत्र पर पड़ रहा है। ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने ने न केवल झील बल्कि पूरी घाटी के लिए खतरा पैदा कर दिया है।
वैज्ञानिकों की चिंता
वैज्ञानिक लंबे समय से हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड के खतरे को लेकर चेतावनी दे रहे हैं। घेपल झील इसका नवीनतम उदाहरण है। झील में पानी की मात्रा लगातार बढ़ना गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार झील के टूटने से निचले इलाकों में भारी तबाही आ सकती है। इससे नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ सकता है और बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। सरकारी एजेंसियां इस खतरे से निपटने की तैयारियों में जुट गई हैं।
