शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: किन्नौर का रौलाने उत्सव शुरू, रहस्यमयी दुल्हन-दूल्हे बनकर उमड़ रहे लोग

Share

Himachal News: हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में रौलाने उत्सव की धूम शुरू हो गई है। यह अनूठा सांस्कृतिक आयोजन 16 नवंबर से शुरू हुआ और 27 नवंबर तक चलेगा। नवंबर के इस सुहाने मौसम में पर्यटक इस रहस्यमयी उत्सव का हिस्सा बनने के लिए किन्नौर पहुंच रहे हैं। नागिन नारायण मंदिर के पास हो रहे इस आयोजन में पारंपरिक वेशभूषा और अनोखे रीति-रिवाज देखने को मिल रहे हैं।

इस उत्सव की सबसे खास बात है चेहरे ढके हुए दुल्हा-दुल्हन की उपस्थिति। स्थानीय लोग भारी ऊनी कपड़ों और कीमती आभूषणों से सजकर इस समारोह में शामिल होते हैं। उनके चेहरे पूरी तरह से ढके होते हैं, जिससे उनकी पहचान छिपी रहती है। यह दृश्य देखने वालों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन जाता है।

उत्सव की खास परंपरा और वेशभूषा

रौलानेउत्सव में दो पुरुष दुल्हा और दुल्हन की भूमिका निभाते हैं। उन्हें सिर से पैर तक पारंपरिक किन्नौरी वेशभूषा में सजाया जाता है। चांदी और सोने के आभूषणों के साथ झूमर वाले कपड़े इस परिधान की खासियत हैं। मुखौटे भारी ऊनी कपड़ों से बनाए जाते हैं और उन्हें रंगीन झालरों से सजाया जाता है।

यह भी पढ़ें:  राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी: रूमित सिंह ठाकुर की कथित 'विवादित' पोस्ट पर बवाल, क्या यह भाजपा की 'बी टीम' है?

कुछ लोग पुंदलु लुक में भी दिखाई देते हैं, जिसमें वे भेड़-बकरियों की खाल पहनते हैं। पारंपरिक गीतों और नृत्यों के साथ यह उत्सव पूरे जोश के साथ मनाया जाता है। स्थानीय संगीत की थाप पर लोग झूमते नजर आते हैं और पूरा माहौल उत्सवमय हो जाता है।

दिव्य परियों से जुड़ी है मान्यता

स्थानीय मान्यताके अनुसार, इस उत्सव में ‘रौलाने सौणी’ नामक दिव्य परियां अपने महलों से निकलकर गांवों में आती हैं। माना जाता है कि सर्दियों के मौसम में ये परियां बाहर निकलती हैं। गांव वाले उनके स्वागत और आशीर्वाद पाने के लिए इस उत्सव का आयोजन करते हैं।

चेहरे ढकने का रहस्य इन दिव्य परियों की पहचान को बनाए रखने से जुड़ा हुआ है। लोग उनके रहस्य को सुरक्षित रखने के लिए मुखौटे पहनते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी इसे पूरी श्रद्धा के साथ निभाया जाता है।

उत्सव का समापन और धार्मिक अनुष्ठान

उत्सव केअंतिम दिन सभी लोग नागिन नारायण मंदिर में इकट्ठा होते हैं। सजे हुए दुल्हा-दुल्हन जोड़े पूरे गांव के साथ मिलकर पूजा-अर्चना में शामिल होते हैं। यह पूजा गांव की सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए की जाती है।

यह भी पढ़ें:  हिमाचल प्रदेश: नूरपुर पुलिस ने नशीले पदार्थों की बड़ी खेप के साथ एक व्यक्ति को किया गिरफ्तार

मंदिर में आयोजित इस समारोह के साथ ही उत्सव का समापन होता है। स्थानीय लोग और पर्यटक सभी इस धार्मिक अनुष्ठान में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। यह पूरा आयोजन किन्नौर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करता है।

पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण

नवंबर कामहीना हिमाचल प्रदेश घूमने के लिए एक आदर्श समय है। रौलाने उत्सव इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देता है। पर्यटक इस दुर्लभ सांस्कृतिक अनुभव को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं। पूरा परिवार इस उत्सव का आनंद ले सकता है।

उत्सव में शामिल होने वाले लोगों के अनोखे कपड़े और आभूषण पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं। किन्नौर की यह अनूठी परंपरा सैलानियों को अपनी ओर खींचती है। हिमाचल पर्यटन विभाग के अनुसार, इस उत्सव के दौरान पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जाती है।

Read more

Related News