Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश की दिव्यांग खिलाड़ी पलक भारद्वाज दस साल बाद भी अपने हक के लिए संघर्ष कर रही हैं। पलक ने वर्ष 2015 में लॉस एंजिलिस में हुए स्पेशल ओलंपिक में रोलर स्केटिंग में दो रजत पदक जीते थे। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बावजूद उन्हें न तो पूरी पुरस्कार राशि मिली, न सरकारी नौकरी और न ही राज्य स्तरीय सम्मान।
मुख्यमंत्री से हुई मुलाकात में दोहराई मांग
पलक ने हाल ही में सरकाघाट दौरे के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से दूसरी बार मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने अपनी मांगें फिर से रखीं। मुख्यमंत्री ने उनकी उपलब्धियों की सराहना करते हुए हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। कांग्रेस के पूर्व महासचिव पवन ठाकुर ने भी भरोसा दिलाया कि पलक को बढ़ी हुई प्रोत्साहन राशि और नौकरी मिलेगी।
पिता ने उठाए सवाल, की आलोचना
पलक के पिता भीम सिंह भारद्वाज ने बताया कि वे पिछले दस वर्षों से बेटी सहित दिव्यांग खिलाड़ियों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि खेल नीति में सुधार तो हुए हैं, लेकिन राजनीति के कारण उनकी बेटी को आज तक कोई लाभ नहीं मिला। वर्ष 2017 में तत्कालीन मंत्री ने मात्र 50,000 रुपये की राशि दी थी, जिसे पलक ने लौटा दिया था।
अन्य राज्यों के मुकाबले कम प्रोत्साहन
भीम सिंह ने सवाल उठाया कि उसी ओलंपिक में अन्य राज्यों के खिलाड़ियों को 15 से 20 लाख रुपये तक की पुरस्कार राशि मिली। हिमाचल में केवल 50,000 रुपये की राशि क्यों दी गई? उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने अब भी पलक की उपेक्षा जारी रखी तो परिवार उसके सभी पदक सरकार को लौटाने के लिए बाध्य होगा। इस मामले में सरकार की तरफ से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
