Himachal News: हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति को लेकर एफआरबीएम (FRBM) रिपोर्ट में बड़े खुलासे हुए हैं। राज्य सरकार की कमाई अनुमान से काफी कम रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल राजस्व में 1726 करोड़ रुपए की कमी आएगी। सरकार पर वेतन और पेंशन का बोझ लगातार बढ़ रहा है। प्राकृतिक आपदाओं ने भी राज्य की आर्थिकी को गहरी चोट पहुंचाई है। राजकोषीय घाटा बढ़ने से सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं।
राजस्व में भारी कमी के संकेत
एफआरबीएम रिपोर्ट के आंकड़े हिमाचल प्रदेश सरकार के लिए चिंताजनक हैं। बजट में 16101.10 करोड़ रुपए की कमाई का अनुमान लगाया गया था। हालांकि, अब यह आंकड़ा गिरकर 14374 करोड़ रुपए रहने की उम्मीद है। इसका सीधा मतलब है कि खजाने में 1726 करोड़ रुपए कम आएंगे।
वेतन और पेंशन के आंकड़े भी रिपोर्ट में दिए गए हैं:
- वेतन: इस साल वेतन पर 13837.36 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। बजट में इसके लिए 14538 करोड़ रुपए रखे गए थे।
- पेंशन: सरकार इस साल पेंशन देने पर 10850 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
उपदान और ब्याज ने बढ़ाया खर्च
सरकार के लिए उपदान (Gratuity) का खर्च भी सिरदर्द बना हुआ है। बजट में उपदान के लिए 1420 करोड़ रुपए का अनुमान था। अब यह खर्च 2508 करोड़ रुपए तक पहुंचने की संभावना है। यानी सरकार को इस मद में 1088 करोड़ रुपए ज्यादा देने होंगे।
इसके अलावा, सरकार को कर्ज के ब्याज पर भी भारी रकम चुकानी पड़ रही है। इस वर्ष ब्याज भुगतान पर सरकार 6738.85 करोड़ रुपए अधिक खर्च करेगी। इन बढ़ते खर्चों ने हिमाचल प्रदेश के विकास कार्यों के बजट पर असर डाला है।
केंद्र से मिली थोड़ी राहत
राज्य की गिरती कमाई के बीच केंद्र सरकार से थोड़ी मदद मिली है। चालू वित्त वर्ष में केंद्रीय योजनाओं और अनुदान में 1662.73 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है। बजट में केंद्र से 5263 करोड़ मिलने का अनुमान था। अब यह राशि बढ़कर 6925 करोड़ रुपए हो जाएगी।
यह अतिरिक्त पैसा इन योजनाओं के तहत मिला है:
- प्रधानमंत्री आवास योजना
- मनरेगा (MNREGA)
- पीएमजीएसवाई (PMGSY)
- एनडीआरएफ (NDRF)
प्राकृतिक आपदा से बिगड़े हालात
मानसून के दौरान आई प्राकृतिक आपदाओं ने हिमाचल प्रदेश की कमर तोड़ दी है। बार-बार आई आपदा से सरकारी खजाने पर दबाव बढ़ा है। इसके साथ ही जीएसटी दरों में बदलाव और उत्पादन शुल्क में कमी ने भी नुकसान पहुंचाया है।
इन कारणों से राजकोषीय घाटा खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है:
- बजट में राजकोषीय घाटा 10337.97 करोड़ रुपए रहने का अनुमान था।
- अब यह बढ़कर 12114 करोड़ रुपए होने की आशंका है।
- यह घाटा राज्य की जीडीपी (GSDP) का 4.74 फीसदी है।
राजकोषीय घाटा कम करना चुनौती
लगातार बढ़ता राजकोषीय घाटा सरकार के लिए परेशानी का सबब है। आर्थिक विशेषज्ञों ने सरकार को टैक्स और नॉन-टैक्स रेवेन्यू बढ़ाने की सलाह दी है। सरकार अब बाहरी फंडिंग वाली परियोजनाओं के जरिए ज्यादा धन जुटाने की कोशिश कर रही है। केंद्रीय योजनाओं से अधिक मदद लेकर आर्थिकी को संभालने का प्रयास जारी है।
