Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को एक बड़ा झटका दिया है। अदालत ने पंचायती राज अधिनियम में किए गए संशोधन को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। यह संशोधन जिला परिषद और पंचायत समितियों के पुनर्सीमांकन से जुड़ा था। कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कई अधिसूचनाओं को भी रद्द कर दिया है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश रोमेश वर्मा की खंडपीठ ने यह अहम फैसला सुनाया। अदालत ने प्रतिवादियों को कानून के मुताबिक उचित कदम उठाने के आदेश दिए हैं।
संशोधन कानून के प्रावधानों के विपरीत
हाईकोर्ट ने पाया कि नियम 9(2) में किया गया बदलाव गलत है। यह पंचायती राज अधिनियम के मूल प्रावधानों से मेल नहीं खाता है। कोर्ट ने कहा कि इसका मकसद अनुच्छेद 243 सी के तहत परिसीमन के उद्देश्य को विफल करना है। अदालत ने शिमला मंडलायुक्त के 24 जून 2025 के आदेश को भी रद्द कर दिया। कोर्ट ने रिकॉर्ड देखने पर पाया कि मंडलायुक्त ने आदेश में झूठे तथ्य दर्ज किए थे। ये तथ्य वास्तव में मौजूद ही नहीं थे।
सरकार और आयोग के बीच विवाद
अदालत ने अपने फैसले में एक और महत्वपूर्ण बात कही। कोर्ट ने चुनाव आयोग और हिमाचल प्रदेश सरकार के बीच चल रही रस्साकसी का जिक्र किया। राज्य चुनाव आयोग ने 17 नवंबर 2025 को आदर्श आचार संहिता लागू की थी। इसके तहत पंचायतों के क्षेत्र और संरचना में बदलाव पर रोक थी। इसके बावजूद सरकार ने नियमों की अनदेखी की। ग्रामीण विकास विभाग ने 28 नवंबर को हमीरपुर जिले में विकास खंडों का पुनर्गठन कर दिया।
तत्काल चुनाव की संभावना नहीं
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अभी पंचायत चुनाव की तारीख तय नहीं हुई है। तत्काल चुनाव होने की कोई संभावना भी नहीं दिख रही है। इसके बाद भी सरकार निकायों के पुनर्गठन में जुटी है। इससे चुनाव क्षेत्रों की सीमाएं बदल रही हैं। याचिकाकर्ता ने नियम 9(2) के संशोधन को चुनौती दी थी। उन्होंने तर्क दिया कि जिला परिषद वार्ड पंचायत समिति की सीमाओं का उल्लंघन नहीं कर सकते।
रद्द की गई अधिसूचनाएं
अदालत ने संशोधन से जुड़ी कई अधिसूचनाओं को रद्द किया है। इनमें 8 जनवरी, 15 फरवरी, 1 मई, 17 मई और 31 मई 2025 की अधिसूचनाएं शामिल हैं। याचिकाकर्ता ने इन सभी को रद्द करने की मांग की थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की आपत्तियों को सही माना। अब सक्षम प्राधिकारी को नए सिरे से और कानून के दायरे में रहकर कार्रवाई करनी होगी।
