Shimla News: हिमाचल प्रदेश में अवैध कॉलोनियों का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। भूमाफिया किसानों से कृषि योग्य जमीन खरीदकर अवैध प्लॉट बेच रहे हैं। यह कारोबार रेरा और टीसीपी के नियमों को दरकिनार कर किया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से यह खेल बड़े पैमाने पर चल रहा है।
भूमाफिया किसानों से सीधे जमीन खरीदते हैं और बिना किसी अनुमति के प्लॉट काटकर बेच देते हैं। इन कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं का पूरी तरह अभाव है। न तो बिजली-पानी की व्यवस्था है और न ही सड़क या ड्रेनेज सिस्टम। खरीददारों को सिर्फ जमीन का टुकड़ा मिल रहा है।
नियमों की अनदेखी
इन अवैध कॉलोनियों में रेरा के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। कॉलोनी के लिए जरूरी 15 विभागों से एनओसी नहीं ली जा रही। टाउन कंट्री प्लानर से चेंज ऑफ लैंड यूज की अनुमति नहीं ली जा रही। इससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है।
कृषि भूमि पर अवैध कॉलोनियां बनने से मास्टर प्लान प्रभावित हो रहा है। जहां पहले खेतों में फसलें लहलहाती थीं, अब वहां कंक्रीट के जंगल उग रहे हैं। प्रशासन की अनदेखी के कारण यह सब संभव हो पा रहा है। स्थानीय लोगों की मेहनत की कमाई इस धंधे में फंस रही है।
बुनियादी सुविधाओं का अभाव
अधिकांश अवैध कॉलोनियों में पानी, बिजली, सड़क और सीवरेज जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। कुछ जगहों पर डायवर्जन तो है लेकिन रेरा की अनुमति नहीं है। फिर भी प्लॉटों की बिक्री जारी है। खरीददारों को बाद में इन समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
सरकारी विभागों की मिलीभगत से यह कारोबार फल-फूल रहा है। भूमाफिया बड़े पैमाने पर कृषि भूमि का अधिग्रहण कर रहे हैं। वे नियमों को ताक पर रखकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। इससे राज्य के विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
