शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: आपातकाल के नेताओं की सम्मान राशि हुई बंद, सरकार ने जारी की अधिसूचना

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश में आपातकाल के दौरान जेल गए नेताओं को अब सम्मान राशि नहीं मिलेगी। राष्ट्रपति ने लोकतंत्र प्रहरी विधेयक के निरसन का प्रस्ताव मंजूर कर लिया है। विधि विभाग ने शुक्रवार को राजपत्र में इसकी अधिसूचना जारी की। सुक्खू सरकार ने अप्रैल 2023 में नया विधेयक लाकर पूर्व विधेयक को निरस्त कर दिया था।

भाजपा सरकार ने साल 2021 में इस विधेयक के तहत सम्मान राशि का प्रावधान किया था। नेताओं को 12,000 और 20,000 रुपये मासिक राशि मिलती थी। मुख्यमंत्री शांता कुमार और पूर्व मंत्री राधारमण शास्त्री सहित 105 नेताओं को पेंशन मिल रही थी। अब यह सुविधा समाप्त हो गई है।

राज्यपाल और सरकार में टकराव

लोकतंत्र प्रहरी विधेयक को लेकर राज्य सरकार और राजभवन के बीच टकराव हुआ। राज्यपाल ने विधेयक को कई बार सरकार के पास लौटाया। वे सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं थे। राज्यपाल ने निरसन विधेयक के पीछे के कारणों की जानकारी मांगी।

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सरकार ने विधानसभा में विधेयक के निरसन का प्रस्ताव रखा। उसने तर्क दिया कि इसका लाभ विचारधारा विशेष से जुड़े राजनीतिक लोगों को दिया जा रहा था। सरकार का मानना था कि यह प्रावधान पक्षपातपूर्ण था। इसलिए इसे समाप्त करना आवश्यक था।

सम्मान राशि का इतिहास

भाजपा सरकार ने 2021 में लोकतंत्र प्रहरी विधेयक पारित किया था। इसके तहत आपातकाल के दौरान जेल गए नेताओं को मासिक राशि दी जाती थी। इन नेताओं को दो श्रेणियों में बांटा गया था। एक श्रेणी को 12,000 रुपये और दूसरी को 20,000 रुपये मासिक मिलते थे।

मुख्यमंत्री शांता कुमार और पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज सहित कुल 105 नेताओं को यह लाभ मिल रहा था। कांग्रेस नेताओं सहित विभिन्न दलों के नेताओं को इसका लाभ मिलता था। अब यह सब समाप्त हो गया है। सभी नेताओं की सम्मान राशि बंद हो गई।

नए विधेयक का प्रस्ताव

सुक्खू सरकार ने अप्रैल 2023 के बजट सत्र में नया विधेयक पेश किया। इस विधेयक में पूर्व विधेयक को निरस्त करने का प्रस्ताव था। विधानसभा ने इस विधेयक को पारित कर दिया। फिर इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया।

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राष्ट्रपति ने अब इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। विधि विभाग ने आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है। इसके साथ ही लोकतंत्र प्रहरी विधेयक पूरी तरह समाप्त हो गया। अब कोई भी नेता इस सुविधा का लाभ नहीं उठा सकेगा।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

इस फैसले पर विभिन्न राजनीतिक दलों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आई हैं। भाजपा ने इस कदम की आलोचना की है। पार्टी का कहना है कि यह आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करने वालों का अपमान है।

वहीं सत्तारूढ़ दल का मानना है कि यह सुविधा केवल चुनिंदा लोगों को दी जा रही थी। इसलिए इसे समाप्त करना उचित था। इस मामले ने राज्य की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। दोनों पक्ष अपने-अपने तर्क दे रहे हैं।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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