Himachal News: हिमाचल प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती से तैयार उत्पादों को वैश्विक बाजार में पहुंचाने जा रही है। राज्य का ‘हिम भोग’ ब्रांड जल्द ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपलब्ध होगा। इसके लिए दो बहुराष्ट्रीय ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स के साथ एमओयू करने की तैयारी चल रही है। यह समझौता आत्मा परियोजना निदेशक और शॉपिंग साइट अधिकारियों के बीच होगा।
इस समझौते के बाद दुनिया के किसी भी कोने से हिमाचली आटे की खरीदारी संभव होगी। ग्लोबल बाजार में प्राकृतिक रूप से उगाए गए गेहूं, मक्का, जौ और हल्दी के उत्पाद उपलब्ध होंगे। ऑनलाइन मार्केटिंग को मजबूत करने के लिए विशेष सेल का गठन किया जाएगा।
उच्चतम एमएसपी का प्रावधान
हिमाचल प्रदेश ने प्राकृतिक खेती से उगाई गई फसलों के लिए देश में सबसे ऊंचा समर्थन मूल्य तय किया है। मक्का के लिए चालीस रुपये प्रति किलोग्राम की दर निर्धारित की गई है। गेहूं पर साठ रुपये प्रति किलोग्राम का समर्थन मूल्य मिलेगा।
कच्ची हल्दी के लिए नब्बे रुपये प्रति किलोग्राम की दर तय हुई है। जौ के उत्पादन पर साठ रुपये प्रति किलोग्राम का भाव मिलेगा। यह किसानों के लिए बहुत बड़ी राहत का काम करेगा। किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सकेगा।
प्राकृतिक खेती का बढ़ता दायरा
राज्य में प्राकृतिक खेती का क्षेत्र तेजी से विस्तारित हो रहा है। वर्तमान में दो लाख बाईस हज़ार आठ सौ तिरानबे किसान सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। ये किसान अड़तीस हज़ार चार सौ सैंतीस हेक्टेयर भूमि पर खेती कर रहे हैं।
पांगी घाटी राज्य का पहला प्राकृतिक खेती उपमंडल बनने की दिशा में आगे बढ़ रही है। किसान मक्का, गेहूं और हल्दी के अलावा सब्जियां उगा रहे हैं। फल और औषधीय पौधों की खेती भी की जा रही है।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्धता
प्रदेश में सात किसान उत्पादक कंपनियां स्थापित की गई हैं। ये कंपनियां उत्पादों के विपणन और बाजार संपर्क में सहयोग कर रही हैं। फ्लिपकार्ट और ओएनडीसी प्लेटफॉर्म पर प्राकृतिक उत्पादों की बिक्री पर काम चल रहा है।
राज्य परियोजना निदेशक हितेश नेगी ने बताया कि जल्द ही ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स से समझौता होगा। इसकी प्रक्रिया शीघ्र पूरी कर ली जाएगी। ग्लोबल बाजार में प्राकृतिक उत्पादों की पहुंच सुनिश्चित हो सकेगी।
वैकल्पिक विक्रय चैनल
मंडी में आत्मा प्रोजेक्ट के निदेशक राकेश कुमार ने जानकारी दी कि प्राकृतिक उत्पाद सिविल सप्लाई आउटलेट्स पर भी बेचे जाएंगे। आत्मा परियोजना के अपने आउटलेट्स भी इन उत्पादों की बिक्री के लिए तैयार किए जा रहे हैं। इससे उपभोक्ताओं को सीधे उत्पाद मिल सकेंगे।
हिमाचल प्रदेश सबसे अधिक एमएसपी देने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। इससे किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। राज्य सरकार का यह प्रयास किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होगा।
भविष्य की संभावनाएं
प्राकृतिक खेती के विस्तार से पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा। मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी। किसानों को रासायनिक खादों पर निर्भरता कम होगी। इससे उनकी लागत में कमी आएगी।
उपभोक्ताओं को शुद्ध और पौष्टिक खाद्य पदार्थ मिल सकेंगे। स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हिमाचल के उत्पादों को वैश्विक पहचान मिलेगी। राज्य के आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
