Himachal News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अतिक्रमण हटाने के मामले में राज्य सरकार और वन विभाग को कड़े निर्देश दिए हैं। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने सरकार को 5 दिसंबर तक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। इस हलफनामे में अतिक्रमण हटाने के लिए जमीनी स्तर पर की गई कार्रवाई का विस्तृत ब्योरा देना होगा।
अदालत ने पहले दाखिल किए गए जवाब पर असंतोष जताया है। न्यायालय का मानना है कि इसमें अतिक्रमण हटाने के लिए उठाए गए ठोस कदमों की पूरी जानकारी नहीं दी गई। मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को निर्धारित की गई है। कोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया था।
अदालत का स्वतः संज्ञान
हाईकोर्ट ने यह कार्यवाही एक व्यक्ति द्वारा दिए गए अभ्यावेदन के आधार पर शुरू की थी। खंडपीठ ने 2 सितंबर को पिछली जनहित याचिकाओं में पारित फैसले के गैर-अनुपालन को गंभीरता से लिया। अदालत ने राज्य सरकार और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को नोटिस जारी किए थे। इन अधिकारियों में अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) और प्रधान मुख्य वन संरक्षक शामिल हैं।
अदालत ने सभी संबंधित अधिकारियों को 8 जनवरी 2025 के आदेशों का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। इन आदेशों में अतिक्रमण हटाने के लिए ठोस कार्रवाई की बात कही गई थी। अब अदालत जमीनी स्तर पर हुई वास्तविक प्रगति की जानकारी चाहती है।
निर्देशित अधिकारियों की सूची
अदालत ने कई वरिष्ठ अधिकारियों को विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। इनमें अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन), हिमाचल प्रदेश सरकार प्रमुख हैं। प्रधान मुख्य वन संरक्षक शिमला को भी हलफनामा दाखिल करना होगा। वन मुख्यालय टोलैंड के अधिकारियों को भी अदालत के समक्ष जवाब पेश करना होगा।
अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन प्रबंधन) टोलैंड को भी शामिल किया गया है। वन संरक्षक सुंदरनगर और मंडल वन अधिकारी सुंदरनगर को भी हलफनामे में योगदान देना होगा। सभी अधिकारियों को संयुक्त रूप से जमीनी कार्रवाई का ब्योरा तैयार करना होगा।
पिछली कार्यवाही का असर
अदालत ने अपने पिछले आदेशों के अनुपालन पर गंभीर चिंता जताई है। खंडपीठ ने पाया कि राज्य सरकार द्वारा दाखिल जवाब अपर्याप्त है। इसमें अतिक्रमण हटाने के लिए वास्तव में किए गए काम का स्पष्ट ब्योरा नहीं दिया गया। अदालत अब ठोस सबूत चाहती है कि जमीन पर वास्तविक कार्रवाई हुई है।
वन विभाग को अब विस्तार से बताना होगा कि किन-किन स्थानों पर अतिक्रमण हटाए गए। उन्हें हटाने की प्रक्रिया और चुनौतियों का भी विवरण देना होगा। भविष्य की कार्ययोजना के बारे में भी स्पष्टता अपेक्षित है। अदालत की यह कार्यवाही राज्य में अतिक्रमण के खिलाफ चल रहे अभियान का हिस्सा है।
