Himachal News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने जल शक्ति विभाग के ज्वाली डिवीजन में टेंडर प्रक्रिया में हुई गड़बड़ियों पर कड़ी कार्रवाई की है। अदालत ने कार्यकारी अभियंता अजय शर्मा को तत्काल पद से हटाने और उनकी सेवाएं वापस लेने के आदेश दिए हैं। साथ ही, उन्हें भविष्य में किसी भी वित्तीय या टेंडर संबंधी जिम्मेदारी न देने का निर्देश दिया गया है।
ई-टेंडरिंग से बचने के लिए काम को टुकड़ों में बांटा गया
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पाया कि विभाग ने जानबूझकर काम को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर ऑफलाइन टेंडर जारी किए। इससे ई-टेंडरिंग प्रक्रिया को बायपास किया गया। अदालत ने कहा कि टेंडर की सीमा पांच लाख रुपये होने के बावजूद एक लाख से कम के कई टेंडर जारी किए गए। यह प्रक्रिया का सीधा उल्लंघन है।
4 अगस्त की टेंडर अधिसूचना पर रोक
हाईकोर्ट ने 4 अगस्त 2025 को जारी की गई टेंडर अधिसूचना पर रोक लगा दी है। अदालत ने निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक कोई भी नया टेंडर ई-टेंडरिंग के बिना जारी नहीं किया जाएगा। साथ ही, कामों को टुकड़ों में बांटने के बजाय पूरे काम को एक साथ टेंडर के लिए रखा जाएगा।
सेवानिवृत्ति के बाद पुनर्नियुक्ति पर सवाल
अदालत ने अजय शर्मा की सेवानिवृत्ति के बाद हुई पुनर्नियुक्ति पर भी सवाल उठाए। शर्मा 29 मार्च को रिटायर हुए थे, लेकिन 2 अप्रैल को उन्हें फिर से उसी पद पर नियुक्त कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने 4 अगस्त को 49 कामों के लिए टेंडर जारी किए, जिनकी राशि एक लाख रुपये से कम थी। अदालत ने इसे गंभीर अनियमितता माना।
अगली सुनवाई 16 सितंबर को
मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी। तब तक सभी टेंडर प्रक्रियाओं पर रोक रहेगी। हाईकोर्ट ने साफ किया कि टेंडर जारी करते समय नियमों का पालन करना अनिवार्य है। कोई भी गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
