शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट: बिना लिखित में बताए की गिरफ्तारियां अवैध नहीं, कहा- सुप्रीम कोर्ट के गिरफ्तारी नियम भविष्य में होंगे लागू

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Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली 29 याचिकाओं को खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि उनकी गिरफ्तारी अवैध थी क्योंकि उन्हें गिरफ्तारी के कारण तुरंत लिखित में नहीं बताए गए। न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की पीठ ने फैसला सुनाया कि इन गिरफ्तारियों को अवैध नहीं ठहराया जा सकता।

अदालत ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट का हालिया ऐतिहासिक फैसला भविष्य में लागू माना जाएगा। याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट के नए निर्देशों से पहले हुई थी। इसलिए उन पर नए मानदंड लागू नहीं होते। सभी याचिकाएं इसी आधार पर खारिज कर दी गईं।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

हाईकोर्ट ने मिहिर राजेश शाह बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले का उल्लेख किया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गिरफ्तारी प्रक्रिया को सख्त बनाया है। अब गिरफ्तारी के आधार लिखित रूप में बताना अनिवार्य कर दिया गया है।

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यह जानकारी उस भाषा में दी जानी चाहिए जिसे गिरफ्तार व्यक्ति समझता हो। यदि तुरंत लिखित में देना संभव न हो तो मौखिक रूप से बताया जा सकता है। लेकिन मैजिस्ट्रेट के सामने पेशी से कम से कम दो घंटे पहले लिखित आधार देना जरूरी है।

नए नियमों का प्रभाव

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इन निर्देशों का पालन न होने पर गिरफ्तारी अवैध मानी जाएगी। ऐसी स्थिति में रिमांड भी अमान्य होगा और व्यक्ति रिहा होने का हकदार होगा। यह नियम सभी अपराधों और कानूनों पर लागू होंगे।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने जोर दिया कि पहले लिखित आधार देना बाध्यकारी आवश्यकता नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देशों को भविष्य की गिरफ्तारियों पर लागू करने का फैसला किया है। इसलिए पुराने मामलों में इन्हें लागू नहीं किया जा सकता।

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याचिकाकर्ताओं का तर्क

याचिकाकर्ताओं ने संविधान के अनुच्छेद 22(1) का हवाला दिया था। उनका कहना था कि गिरफ्तारी के समय उन्हें कारण नहीं बताए गए। इससे उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ। उन्होंने अदालत से तत्काल रिहाई की मांग की थी।

अदालत ने माना कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से गिरफ्तारी प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी। यह फैसला नागरिक अधिकारों को सुरक्षा प्रदान करता है। लेकिन इसे पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं किया जा सकता।

यह मामला भारतीय न्यायिक प्रणाली में नजीर कायम करता है। अदालतों द्वारा दिए गए नए निर्देशों के लागू होने का समय निर्धारित करना महत्वपूर्ण होता है। इस फैसले से कानून के शासन और न्यायिक प्रक्रिया की स्पष्टता बढ़ती है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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