Himachal News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला जिले के तीन सरकारी स्कूलों का दर्जा घटाने पर रोक लगा दी है। इनमें जनाहन और कांडा के सरकारी उच्च विद्यालय शामिल हैं। राज्य सरकार ने 14 अक्टूबर को कम नामांकन के आधार पर यह आदेश जारी किए थे। अदालत ने अगली सुनवाई 24 नवंबर तक स्थगित की है।
न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश रोमेश वर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया। अदालत ने कहा कि सरकार ने शैक्षणिक सत्र के अंतिम चरण में यह फैसला लिया। इससे छात्रों पर पड़ने वाले प्रभाव पर पर्याप्त विचार नहीं किया गया। महाधिवक्ता ने अतिरिक्त समय की मांग की।
सत्र के अंत में फैसले पर सवाल
अदालत ने टिप्पणी की कि नवंबर-दिसंबर में यह फैसला उचित नहीं है। उच्च विद्यालय जनाहन का एक राजकीय माध्यमिक विद्यालय में विलय किया गया है। यह स्कूल शीतकालीन अवकाश वाला है। इसका शैक्षणिक सत्र 31 दिसंबर को समाप्त होगा।
सत्र के अंतिम चरण में यह निर्णय छात्रों को प्रभावित करेगा। याचिका में बताया गया कि कई स्कूलों में नामांकन जनाहन स्कूल से कम है। फिर भी उन्हें डाउनग्रेड नहीं किया गया। इससे भेदभाव का आरोप लगा।
छात्रों को होगी परेशानी
स्कूल का दर्जा घटाए जाने से छात्रों को नए स्कूल तक पहुंचने में दिक्कत होगी। उन्हें 10 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करनी पड़ेगी। इसमें तीन से चार किलोमीटर पैदल सफर भी शामिल है। इससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो सकती है।
राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता ने दावा किया कि यह नीतिगत फैसला है। सरकार छात्रों को परिवहन सुविधा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन अदालत ने इस दावे को पर्याप्त नहीं माना। महाधिवक्ता सात किलोमीटर की पैदल दूरी के लिए परिवहन सुविधा का तरीका नहीं बता सके।
कांडा स्कूल पर भी रोक
कांडा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय को राजकीय उच्च विद्यालय में विलय करने पर भी रोक लगाई गई। अदालत ने इस मामले में भी अंतरिम राहत प्रदान की। सरकार को अब अगली सुनवाई तक इन स्कूलों का दर्जा नहीं घटाना होगा।
महाधिवक्ता ने अदालत से अतिरिक्त समय की मांग की। उन्होंने कहा कि वे मामले से संबंधित जवाब रिकॉर्ड पर रखना चाहते हैं। न्यायालय ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया। अब सरकार को अपना पक्ष रखने का मौका मिलेगा।
अगली सुनवाई की तैयारी
मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी। इससे पहले सरकार को अपना जवाब दाखिल करना होगा। अदालत ने स्पष्ट किया कि सरकार के फैसले में छात्रों के हितों का ध्यान नहीं रखा गया। शैक्षणिक सत्र के अंत में ऐसे बदलाव उचित नहीं हैं।
यह मामला सरकारी स्कूलों में नामांकन और संसाधनों के प्रबंधन से जुड़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा सुविधाओं को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण है। सरकार को छात्रों की सुविधा और शिक्षा के अधिकार का ध्यान रखना होगा।
