Shimla News: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने 592 टीजीटी शिक्षकों को प्रवक्ता पद से डिमोट करने के मामले में स्थगन आदेश जारी किया है। शिक्षा विभाग द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस पर न्यायालय ने यह रोक लगाई है। यह मामला विभाग द्वारा वरिष्ठता सूची में सुधार किए बिना डिमोशन की कार्रवाई शुरू करने से उत्पन्न हुआ।
राजकीय टीजीटी कला संघ के प्रदेश महासचिव विजय हीर ने बताया कि न्यायालय ने सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण तथ्यों का पता लगाया। पहले जारी वरिष्ठता सूची में पर्याप्त संशोधन नहीं किया गया था। न्यायालय ने विभाग को आदेशों की पूर्ण अनुपालना करने तक कोई कार्रवाई न करने के निर्देश दिए हैं।
विवाद की पृष्ठभूमि
यह विवाद तब शुरू हुआ जब शिक्षा विभाग ने प्रवक्ताओं की वरिष्ठता सूची में सुधार किए बिना डिमोशन की कार्रवाई शुरू कर दी। दस सितंबर 2024 के आदेश के तहत टीजीटी शिक्षकों की वरिष्ठता सूची में सुधार करने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके थे। अठारह जून 2024 के आदेशानुसार नियमित सेवा लाभ देने का भी आदेश था।
विभाग द्वारा इन निर्देशों का पालन न करने पर जब 592 प्रवक्ताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए तो मामला पुनः न्यायालय में पहुंचा। न्यायालय ने पाया कि विभाग ने पहले के आदेशों का ठीक से पालन नहीं किया था। इसी कारण न्यायालय ने कार्रवाई पर रोक लगाने का निर्णय लिया।
न्यायिक प्रक्रिया और आदेश
उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान विस्तृत जांच की। न्यायालय ने पाया कि वरिष्ठता सूची में आवश्यक संशोधन नहीं किए गए थे। विभाग द्वारा पूर्व के न्यायिक आदेशों का पालन नहीं किया गया था। इस आधार पर न्यायालय ने डिमोशन की कार्रवाई पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी।
न्यायालय ने विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए कि वह पूर्व के आदेशों का पूर्ण रूप से पालन करे। तब तक कोई भी कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस निर्णय से सभी 592 प्रवक्ताओं को राहत मिली है। विभाग को अब न्यायालय के आदेशों का सख्ती से पालन करना होगा।
सर्वोच्च न्यायालय का हस्तक्षेप
इस मामले से जुड़े एलपीए अनिल कुमार बनाम हिमाचल सरकार में प्रदेश हाईकोर्ट पहले ही स्टे लगा चुका है। सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य हिमाचल प्रदेश बनाम सतीश कुमार एवं अन्य मामले में सात अक्टूबर 2025 को सुनवाई की। सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की अपील स्वीकार कर ली है।
उच्च न्यायालय द्वारा जारी अवमानना कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया है। जब तक यह अपील लंबित रहेगी तब तक उच्च न्यायालय के निर्णय पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकेगी। इसके बाद केवल डिमोशन नोटिस पर स्टे शेष था जो अब लग गया है। पूर्ण न्यायिक स्थगन से शिक्षकों को कानूनी सुरक्षा मिल गई है।
शिक्षक संघ की प्रतिक्रिया
राजकीय टीजीटी कला संघ ने न्यायालय के इस निर्णय का स्वागत किया है। संघ के महासचिव विजय हीर ने कहा कि यह निर्णय शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा करता है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा वरिष्ठता सूची में सुधार न करना ही मुख्य विवाद का कारण था। संघ लंबे समय से इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप की मांग कर रहा था।
शिक्षक संघ का मानना है कि विभाग को नियमों का पालन करते हुए पारदर्शी तरीके से कार्य करना चाहिए। वरिष्ठता सूची में सुधार के बिना की गई कार्रवाई अनुचित थी। संघ ने सभी प्रभावित शिक्षकों को कानूनी सहायता प्रदान की है। यह निर्णय शिक्षक समुदाय के लिए एक बड़ी राहत है।
