Shimla News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक उच्च शिक्षा संस्थान को बीएड काउंसलिंग में शामिल होने की अंतरिम अनुमति प्रदान की है। न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की पीठ ने एनसीटीई और अन्य प्रतिवादियों को तत्काल इस आदेश पर अमल करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि यह अनुमति याचिका के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगी।
अदालत का अंतरिम आदेश
अदालत ने नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) को निर्देशित किया कि वह संस्थान को चल रही B.Ed काउंसलिंग प्रक्रिया में भाग लेने दें। यह आदेश एक रिट याचिका की सुनवाई के दौरान पारित किया गया। न्यायालय ने इसकी सूचना आम जनता तक पहुंचाने को भी कहा है।
संस्थान की मान्यता को लेकर विवाद
याचिकाकर्ता संस्थान ने अदालत को बताया कि एनसीटीई ने उसकी मान्यता रद्द कर दी थी। इस आदेश के खिलाफ संस्थान ने अपीलीय प्राधिकरण में अपील दायर की थी। अपीलीय प्राधिकरण ने मार्च 2025 के अपने आदेश में मामले को एनसीटीई के पास पुनर्विचार के लिए वापस भेज दिया था।
अपील के बाद का कानूनी प्रावधान
संस्थान के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि कानून के मुताबिक, जब अपीलीय अधिकारी मामले को वापस भेजता है तो मूल आदेश स्वत: ही रद्द हो जाता है। इस स्थिति में, जब तक एनसीटीई की ओर से कोई नया आदेश नहीं आता, संस्थान को मान्यता प्राप्त माना जाना चाहिए।
अनुमति न मिलने से नुकसान
इस बीच, एनसीटीई और अन्य अधिकारी संस्थान को काउंसलिंग में शामिल होने की अनुमति नहीं दे रहे थे। इस वजह से संस्थान और उसमें प्रवेश चाहने वाले छात्रों को काफी नुकसान हो रहा था। इसी समस्या के समाधान के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया गया।
आगे की कार्यवाही
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मामले में सभी प्रतिवादियों को छह सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। प्रतिवादियों के जवाब दाखिल करने के बाद ही मामले को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा। तब तक संस्थान को अंतरिम राहत मिल गई है।
