Kullu News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कुल्लू और मंडी जिलों में रेव पार्टियों में ड्रग्स के इस्तेमाल को लेकर राज्य सरकार की लापरवाही पर नाराजगी जताई है। अदालत ने सरकार को चार सप्ताह का अंतिम समय देते हुए सभी सवालों का जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। यह मामला एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया।
सुनवाई के दौरान ये हुआ खुलासा
मामले की सुनवाई के दौरान यह तथ्य उजागर हुआ कि राज्य सरकार के पास रेव पार्टियों में ड्रग्स के इस्तेमाल से जुड़ा कोई आंकड़ा नहीं है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधवालिया और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही थी।
अदालत ने ये पूछे थे सवाल
पिछली सुनवाई में अदालत ने राज्य सरकार से रेव पार्टियों से जुड़े तीन मुख्य पहलुओं पर जवाब मांगा था। इनमें मंडी और कुल्लू जिलों में दर्ज एफआईआर और गिरफ्तारियों की संख्या शामिल थी। अदालत ने गिरफ्तार किए गए लोगों की उम्र और आयोजकों की पहचान के बारे中也 पूछा था।
पार्टियों की आय और संपत्ति पर भी सवाल
अदालत ने सरकार से यह भी पूछा था कि इन रेव पार्टियों से कितनी आय हो रही है और यह आय आयोजकों के बीच कैसे बांटी जा रही है। साथ ही, अदालत ने जानना चाहा था कि क्या ऐसे आयोजकों की संपत्ति जब्त या कुर्क करने की कोई कार्रवाई की गई है।
क्या है पूरा मामला
हिमालयन पर्यावरण संरक्षण सोसायटी कुल्लू ने अदालत का ध्यान इस मामले की ओर खींचा था। याचिका में कहा गया था कि कसोल, जिभी, मनाली और कुल्लू के अन्य हिस्सों में पर्यटन के नाम पर रेव पार्टियां आयोजित की जा रही हैं। इन पार्टियों के प्रवेश टिकट पांच हजार से लेकर सात लाख रुपये तक हैं।
बड़े लोगों का बताया गया है सहयोग
याचिका में आरोप लगाया गया था कि बड़े लोगों और राजनीतिक संरक्षण के बिना इन पार्टियों का आयोजन संभव नहीं है। यह भी बताया गया कि इन आयोजनों के वीडियो ऑनलाइन उपलब्ध हैं और इनमें ड्रग्स खुलेआम इस्तेमाल की जा रही हैं। इन आरोपों के आधार पर ही अदालत ने सरकार से जवाब तलब किया था।
सरकार ने बताई थी ये पहल
राज्य सरकार ने अदालत को अपनी ओर से की गई कुछ पहलों के बारे में बताया। सरकार ने ड्रग फ्री हिमाचल ऐप और टोल-फ्री नशा निवारण हेल्पलाइन नंबर 1908 शुरू किए हैं। हर पुलिस स्टेशन पर नशा निवारण समितियां भी बनाई गई हैं। ये समितियां पुलिस को जानकारी देने में मदद करती हैं।
लेकिन जवाब नहीं दे पाई सरकार
इन पहलों के बावजूद सरकार अदालत के सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई। सरकार रेव पार्टियों से जुड़े सवालों का जवाब देने में विफल रही। इसी कारण अदालत ने नाराजगी जताई और चार सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया है। अब सरकार को इस अवधि में अपना जवाब दाखिल करना होगा।
