Himachal News: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य के हवाई अड्डों से उड़ानें नियमित रूप से न चलने पर स्वतः संज्ञान लिया है। अदालत ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव को नोटिस जारी कर आवश्यक विवरण देने को कहा है। राज्य सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया गया है।
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की पीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए यह निर्देश जारी किए। अदालत ने राज्य सरकार को नियमित उड़ानें संचालित करने का भी आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।
हवाई अड्डों की वर्तमान स्थिति
अदालत को बताया गया कि शिमला और कुल्लू में आमतौर पर केवल एक ही हॉपिंग उड़ान संचालित होती है। यह उड़ान भी नियमित रूप से नहीं चलती है। राज्य में शिमला, कुल्लू और कांगड़ा में तीन हवाई अड्डे स्थित हैं। इनमें बुनियादी ढांचा उपलब्ध होने के बावजूद पर्याप्त उड़ानें नहीं हैं।
केंद्र सरकार ने इन हवाई अड्डों से पर्याप्त संख्या में उड़ानों के संचालन की व्यवस्था नहीं की है। इससे हिमाचल प्रदेश के निवासियों को गंभीर असुविधा हो रही है। पर्यटकों को भी यात्रा में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
अदालत की टिप्पणियां और चिंताएं
अदालत ने कहा कि हिमाचल एक पहाड़ी राज्य है जहां आवागमन पहले से ही मुश्किल है। पर्यटन उद्योग राज्य की आय का मुख्य स्रोत है। उड़ानों के अभाव से पर्यटन उद्योग प्रभावित हो रहा है। स्थानीय लोगों को चिकित्सा और अन्य आवश्यक यात्राओं में समस्याएं आती हैं।
मूल मामला कांगड़ा के गगल हवाई अड्डे पर पक्षियों के बढ़ते खतरे से संबंधित था। लेकिन अदालत ने इसे व्यापक स्तर पर देखते हुए सभी हवाई अड्डों की स्थिति का संज्ञान लिया। न्यायालय ने इस मामले को जनहित से जोड़ते हुए गंभीरता से लिया।
केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव को प्रतिवादी बनाया गया है। उनसे आवश्यक विवरण देने को कहा गया है। राज्य सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया गया है। इस रिपोर्ट में नियमित उड़ानें सुनिश्चित करने के लिए किए गए प्रयासों का विवरण होगा।
अदालत ने राज्य सरकार को नियमित रूप से उड़ानें संचालित करने का आदेश दिया है। दोनों पक्षों को अगली सुनवाई से पहले अपने-अपने जवाब दाखिल करने होंगे। मामले की नियमित सुनवाई सुनिश्चित की जाएगी।
पर्यटन और आवागमन पर प्रभाव
हिमाचल प्रदेश में हवाई संपर्क के अभाव से पर्यटन उद्योग को नुकसान हो रहा है। विदेशी पर्यटकों को यात्रा में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। स्थानीय व्यवसायियों को भी व्यापारिक यात्राओं में समस्याएं आती हैं। चिकित्सा आपात स्थितियों में मरीजों को समय पर उपचार नहीं मिल पाता।
राज्य सरकार ने बार-बार केंद्र से उड़ानें बढ़ाने का अनुरोध किया है। लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है। अदालत के हस्तक्षेप के बाद इस मामले में गति आने की उम्मीद है। स्थानीय लोगों को बेहतर हवाई संपर्क मिल सकेगा।
