Himachal News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कांगड़ा जिले में बढ़ते अवैध खनन पर गंभीर चिंता जताई है। अदालत ने जिला प्रशासन द्वारा खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई में ढिलाई बरतने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। कोर्ट ने कांगड़ा के डीसी को शपथपत्र दाखिल कर यह ब्यौरा देने का निर्देश दिया है कि कितने मामले दर्ज किए गए और कितना जुर्माना वसूला गया।
अदालत की सुनवाई और रिपोर्ट
हाईकोर्ट इस मामले में एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है। अदालत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव की रिपोर्ट देखी। रिपोर्ट में पाया गया कि न्यूगल नदी में अवैध खनन रोकने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं। नदी के किनारे पहुंच मार्ग को अवरुद्ध करने की कोई स्थाई व्यवस्था नहीं की गई है।
अधिकारियों पर लगे आरोप
रिपोर्ट में कुछ अधिकारियों पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। धर्मशाला में तैनात खनन अधिकारी राजीव कालिया और माइनिंग गार्ड संतोष के खिलाफ आरोप प्रमाणित पाए गए हैं। अदालत ने यह भी रिपोर्ट मांगी है कि ये अधिकारी कितने समय से इस पद पर तैनात हैं।
प्रशासन की निष्क्रियता
उद्योग विभाग के एक भूविज्ञानी के हलफनामे के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 में जून 2025 तक केवल पांच चालान किए गए। इस साल 9 अप्रैल को केवल एक ही एफआईआर दर्ज की गई है, जिसकी जांच अभी चल रही है। कांगड़ा के डीसी की ओर से अब तक कोई हलफनामा दाखिल नहीं किया गया है।
बिलासपुर जिले का डेटा
इसके विपरीत, डीसी बिलासपुर के हलफनामे में कुछ कार्रवाई का जिक्र है। बताया गया है कि अवैध खनन और परिवहन के 276 मामले पकड़े गए। इनमें से 224 मामलों का निपटारा कर दिया गया और 14,15,300 रुपये का जुर्माना वसूला गया। 52 मामले अभी भी न्यायालयों में लंबित हैं।
अगली सुनवाई का इंतजार
मामले की अगली सुनवाई का इंतजार है। अदालत ने कांगड़ा प्रशासन से जवाब तलब किया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन अदालत के सामने क्या तथ्य और आंकड़े पेश करता है। इससे खनन माफिया पर अंकुश लगाने की दिशा में कार्रवाई की जा सकेगी।
