शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: हाई कोर्ट ने 1404 लेक्चररों के सेवा लाभ बहाल करने का आदेश दिया

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। अदालत ने स्कूल कैडर के 1404 लेक्चररों के छीने गए सेवा लाभों को तुरंत बहाल करने का निर्देश दिया है। ये लाभ शिक्षकों को पहले अदालत के निर्णयों के आधार पर प्राप्त थे। शिक्षा विभाग ने इन लाभों को मार्च 2025 के एक आदेश के तहत वापस ले लिया था।

इन शिक्षकों को वर्ष 2009 में अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया गया था। बाद में अदालत के आदेश पर उनकी सेवाओं को नियुक्ति की प्रारंभिक तिथि से नियमित माना गया। न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति रोमेश वर्मा की पीठ ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। अदालत ने शिक्षा विभाग को 31 दिसंबर 2025 तक सभी लाभ बहाल करने का आदेश दिया।

विवाद का इतिहास

प्रमुख सचिव शिक्षा ने जुलाई और सितंबर 2008 में 1404 पदों को भरने की स्वीकृति दी थी। ये पद हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड द्वारा विज्ञापित किए गए थे। व्याख्याता पदों के लिए अनुबंध नियुक्ति का प्रावधान जून 2009 में अधिसूचित किया गया। इससे पहले ही इन शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी।

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शिक्षकों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और न्यायालय ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने निर्देश दिया कि शिक्षकों को उनकी प्रारंभिक नियुक्ति तिथि से नियमित माना जाए। इसके बाद शिक्षा विभाग ने कुछ शिक्षकों को लाभ दिए। परंतु 2024 के अधिनियम के बाद ये लाभ वापस ले लिए गए।

अदालत का स्पष्ट निर्देश

उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि पहले का निर्णय अंतिम था और उसे अक्षरशः लागू किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि 17 मार्च 2025 का आदेश अब निष्प्रभावी हो गया है। सभी 1404 व्याख्याताओं को नियमित नियुक्ति माना जाएगा। उन्हें उनकी प्रारंभिक नियुक्ति तिथि से सभी लाभ प्रदान किए जाएंगे।

शिक्षकों को 10300-34800 ग्रेड पे के वेतनमान का लाभ मिलेगा। इसके साथ ही सभी भत्ते और परिणामी लाभ भी प्राप्त होंगे। यह लाभ उस तिथि से मिलेगा जब वे अनुबंध पर कार्यभार संभाल चुके थे। अदालत ने सरकार को समयसीमा का पालन करने का स्पष्ट निर्देश दिया।

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सरकार की प्रतिक्रिया

राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग को सूचित किया कि अदालत का निर्णय सेवा शर्त अधिनियम के दायरे में नहीं आता। सरकार ने माना कि 17 मार्च के आदेश के बाद की स्थिति ने शिकायतों का निवारण कर दिया है। अब शेष केवल याचिकाकर्ताओं को सेवा लाभ बहाल करने का मामला रह गया है।

प्रधानाचार्यों को निर्देश दिया गया कि वे याचिका दायर करने की तिथि से तीन वर्षों के आर्थिक लाभ जारी करें। इस निर्णय से सभी 1404 शिक्षकों को समान रूप से लाभ मिलेगा। यह मामला लंबे समय से चल रहा था और अब इसका समाधान हो गया है। शिक्षकों को उनका कानूनी हक प्राप्त हो सकेगा।

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