Himachal News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने वक्फ बोर्ड के गठन में देरी पर कड़ा संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सरकार और अन्य प्रतिवादियों से जवाब तलब किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 9 मार्च को होगी। याचिका में आरोप है कि हिमाचल प्रदेश सरकार वक्फ अधिनियम के नियमों का पालन नहीं कर रही है।
नियमों की अनदेखी का आरोप
हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं। याचिका के अनुसार, सरकार ने 14 दिसंबर 2022 को वक्फ बोर्ड भंग कर दिया था। इसके काफी समय बाद 1 नवंबर 2025 को सरकार ने केवल एक सदस्य को नामित किया। उन्हें ही अगले आदेश तक अंतरिम अध्यक्ष बना दिया गया। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह वक्फ अधिनियम की धारा 13 और 14 का सीधा उल्लंघन है।
संपत्तियों के प्रबंधन पर संकट
अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि बोर्ड के अभाव में वक्फ संपत्तियों का काम ठप पड़ा है। वक्फ की आय और उसके उद्देश्य की निगरानी करने वाला कोई नहीं है। बिना पूरे बोर्ड के केवल एक अंतरिम अध्यक्ष के भरोसे व्यवस्था चलाना गैर-कानूनी है। इससे हिमाचल प्रदेश में मौजूद वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड और रखरखाव पर खतरा पैदा हो गया है। वैधानिक संस्था के बिना लाभार्थियों को भी परेशानी हो रही है।
