Shimla News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने वन क्षेत्रों के बीच स्थित निजी भूमि के मुद्दे पर व्यापक नीति बनाने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने पाया कि कई निजी भूमि मालिक धीरे-धीरे वन भूमि पर अतिक्रमण कर रहे हैं। इससे वन विभाग के लिए भूमि प्रबंधन मुश्किल हो रहा है।
जनहित याचिका दर्ज करने का आदेश
अदालत ने इस गंभीर मुद्दे पर अलग से जनहित याचिका दर्ज करने का आदेश दिया। केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किए गए हैं। न्यायालय ने समस्या के स्थायी समाधान के लिए दोनों सरकारों से संयुक्त नीति तैयार करने को कहा है। यह नीति वन और निजी भूमि के सीमांकन को स्पष्ट करेगी।
कर्मचारी को वर्कचार्ज दर्जा देने का आदेश
एक अन्य मामले में कोर्ट ने कृषि विवि पालमपुर को निर्देश दिए। अदालत ने कहा कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को आठ साल की सेवा पूरी होने पर वर्कचार्ज दर्जा दें। यह लाभ एक जनवरी 2002 से काल्पनिक आधार पर मिलेगा। पिछली अवधि का वित्तीय बकाया नहीं दिया जाएगा।
न्यायालय का महत्वपूर्ण तर्क
मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि आठ साल की निरंतर सेवा पूरी करने पर वर्कचार्ज दर्जा देना कर्मचारी का अधिकार है। यह लाभ उसे नियमित होने से पहले ही मिलना चाहिए। अदालत ने माना कि देरी के आधार पर याचिका को खारिज करना उचित नहीं था।
सर्वोच्च न्यायालय के मामलों का हवाला
खंडपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय के सूरजमणि और अश्वनी कुमार मामलों का हवाला दिया। अदालत ने कहा कि वर्कचार्ज का दर्जा देना अनिवार्य है। यह जजमेंट इन रिम है यानी सभी समान मामलों पर लागू होता है। खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के फैसले को खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता का मामला
याचिकाकर्ता नरेश कुमार को 1993 में दैनिक वेतनभोगी मजदूर के रूप में नियुक्त किया गया था। एकल न्यायाधीश ने याचिका को दायर करने में देरी के चलते खारिज कर दिया था। खंडपीठ ने इस फैसले को पलटते हुए याचिकाकर्ता को लाभ देने के आदेश दिए। विश्वविद्यालय को छह सप्ताह के भीतर आदेश लागू करना होगा।
