शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट: युग हत्याकांड में हाई कोर्ट ने तीन में से एक आरोपी को बरी किया, दो की सजा उम्रकैद में बदली

Share

Shimla News: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने चार साल के बच्चे युग की निर्मम हत्या के मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने जिला अदालत द्वारा तीनों दोषियों को दिए गए मृत्यु दंड को पलट दिया है। अब दो आरोपियों को उम्रकैद की सजा मिली है जबकि एक आरोपी को पूरी तरह बरी कर दिया गया है।

न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति राकेश कैंथला की खंडपीठ ने यह फैसला मंगलवार को सुनाया। हाई कोर्ट ने गत 11 अगस्त को इस मामले की सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। आरोपियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने उनके अच्छे व्यवहार और उम्र का हवाला देकर मृत्यु दंड में राहत की मांग की थी।

यह मामला 14 जून 2014 का है जब शिमला के रामबाजार इलाके से चार साल के युग का फिरौती के लिए अपहरण कर लिया गया था। अपहरण के दो साल बाद अगस्त 2016 में शिमला के भराड़ी इलाके में एक पेयजल टैंक से युग के अवशेष बरामद हुए थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुष्टि की कि उसके गले में पत्थर बांधकर उसे जिंदा पानी में फेंक दिया गया था।

यह भी पढ़ें:  हिमाचल प्रदेश: मानसून आपदा में लापता लोगों के लिए 7 साल के इंतजार से मुक्ति, जल्द जारी होंगे मृत्यु प्रमाण पत्र

पीड़ित परिवार हाई कोर्ट के इस फैसले से बेहद दुखी और नाराज है। युग के पिता का कहना है कि उनके बेटे को इंसाफ नहीं मिला। उन्होंने कहा कि जिस आरोपी को बरी किया गया है उसी की गाड़ी से बच्चे का अपहरण किया गया था। परिवार ने साफ किया कि वह इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा।

जिला अदालत ने 5 सितंबर 2018 को इस केस में तीनों आरोपियों को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। अदालत ने इसे दुर्लभतम में से एक मामला माना था। अब हाई कोर्ट ने इस सजा में बदलाव किया है। आरोपियों ने युग के गले में पत्थर बांधकर उसे जिंदा पानी के टैंक में फेंक दिया था।

इस मामले ने पूरे शिमला शहर को हिलाकर रख दिया था। एक मासूम बच्चे की इस क्रूर हत्या ने लोगों को स्तब्ध कर दिया था। अब हाई कोर्ट के फैसले ने एक नया मोड़ पैदा कर दिया है। कानूनी विशेषज्ञ इस फैसले की व्याख्या कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें:  हिमाचल प्रदेश: प्रवक्ताओं को कक्षा में फोटो खींचने के आदेश पर शिक्षक संघ का विरोध

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मामले की सभी परिस्थितियों पर गौर किया गया। आरोपियों की उम्र और पारिवारिक पृष्ठभूमि भी विचार का हिस्सा रही। अदालत ने माना कि मामला गंभीर है लेकिन मृत्यु दंड दिए जाने योग्य नहीं है। इसलिए सजा में संशोधन किया गया।

परिजनों का कहना है कि उन्हें 11 साल बाद भी इंसाफ नहीं मिला। युग के पिता ने कहा कि आज उनका बेटा 15 साल का होता। लेकिन उसे न्याय नहीं मिल सका। उन्होंने कहा कि सभी सबूत होने के बावजूद आरोपी बच गए। परिवार को न्यायिक प्रक्रिया में गहरा झटका लगा है।

हिमाचल प्रदेश पुलिस ने इस मामले की जांच काफी गंभीरता से की थी। अपराध के दो साल बाद बच्चे के कंकाल मिलने से जांच में काफी मुश्किलें आई थीं। फिर भी पुलिस ने सबूतों के आधार पर तीनों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। अब हाई कोर्ट के फैसले के बाद मामला फिर से सुर्खियों में है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

Read more

Related News