Shimla News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बैच आधारित नियुक्तियों को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नियुक्ति के लिए उम्मीदवार द्वारा परीक्षा पास करने का वर्ष महत्वपूर्ण है, न कि प्रमाणपत्र जारी होने की तारीख। इस फैसले के बाद सरकारी नौकरियों में बैच निर्धारण को लेकर चल रहे विवाद पर विराम लग सकता है।
न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की पीठ ने यह आदेश एक याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिकाकर्ता को आयुर्वेदिक फार्मेसी अधिकारी के पद पर नियुक्ति नहीं दी गई थी। स्क्रीनिंग कमेटी ने उसके प्रमाणपत्र के जारी होने की तारीख को आधार बनाया था। कोर्ट ने इस दृष्टिकोण को गलत ठहराया।
अदालत ने भर्ती नियमों की जांच की। पाया कि बैच तय करने के लिए अंतिम परीक्षा का वर्ष और महीना देखना चाहिए। प्रमाणपत्र जारी होने की तारीख प्रासंगिक नहीं है। इस निर्णय से सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने वाले युवाओं को स्पष्टता मिलेगी।
मामले में याचिका कर्ता ने 2003-2005 के सत्र में डिप्लोमा किया था। उसकी अंतिम परीक्षा जून 2005 में हुई थी। लेकिन उसका डिटेल मार्क्स सर्टिफिकेट अप्रैल 2006 में जारी हुआ। चयन समिति ने उसे 2006 बैच का माना जबकि उसे 2005 बैच में नियुक्ति मिलनी चाहिए थी।
कोर्ट का तर्क
हाईकोर्ट ने कहा कि नियमों में कहीं भी प्रमाण पत्र जारी होने की तारीख का जिक्र नहीं है। प्रासंगिक बिंदु परीक्षा उत्तीर्ण करने का वर्ष है। याचिकाकर्ता के प्रमाणपत्र पर साफ लिखा था कि परीक्षा सत्र 2004-2005 की है। उसके प्रशिक्षण प्रमाणपत्र से भी यही पुष्टि होती है।
कोर्ट ने राज्य सरकार को याचिकाकर्ता को 2005 बैच के तहत नियुक्ति देने का आदेश दिया। साथ ही स्पष्ट किया कि उसे पिछले वेतन लाभ का हकदार नहीं ठहराया जाएगा। हालांकि, उसकी वरिष्ठता की गणना नियुक्ति की तारीख से की जाएगी। इससे उसे भविष्य के लाभ मिल सकेंगे।
अदालत ने यह भी माना कि वर्तमान में पद पर कार्यरत चौथे प्रतिवादी की कोई गलती नहीं है। उन्हें उनके पद पर बनाए रखा जाएगा। यह फैसला केवल भविष्य की नियुक्तियों और वरिष्ठता के लिए मार्गदर्शक होगा। यह फैसला समान मामलों के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण स्थापित करता है।
