शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट: समझौते के बाद पत्नी को मुकदमे में घसीटना मानसिक क्रूरता

Share

Shimla News: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि समझौता होने के बाद भी पति द्वारा पत्नी को दो साल तक मुकदमे में घसीटना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने पति की अपील खारिज कर दी और पारिवारिक न्यायालय के तलाक के फैसले को सही ठहराया।

अदालत की टिप्पणी

अदालत ने स्पष्ट किया कि समझौते का उल्लंघन करना, खासकर जब एक पक्ष को परेशान करने के इरादे से किया जाए, तो यह क्रूरता मानी जाएगी। खंडपीठ ने इसे कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग भी बताया। अदालत ने क्रूरता और परित्याग के आधार पर दिए गए तलाक के फैसले को बरकरार रखा।

यह भी पढ़ें:  हिमाचल प्रदेश: ऊना और कुल्लू में युवतियों की हत्या के मामलों ने मचाया हड़कंप, महिला आयोग ने लिया संज्ञान

मामले की पृष्ठभूमि

पति ने मंडी पारिवारिक न्यायालय के 30 मई 2024 के आदेश को चुनौती दी थी। निचली अदालय ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत क्रूरता और त्याग के आधार पर तलाक दे दिया था। मामले में पत्नी ने पति के पिता और बहन के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी।

समझौते का उल्लंघन

दोनों पक्षों के बीच एक समझौता हुआ था। समझौते के तहत पत्नी ने एफआईआर और घरेलू हिंसा का मामला वापस लेने की सहमति दी थी। इसके बदले में पति को तलाक की याचिका पर बिना विरोध के सहमति देनी थी। पत्नी ने मामले वापस ले लिए, लेकिन पति ने तलाक की कार्रवाई का विरोध जारी रखा।

यह भी पढ़ें:  मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू: हिमाचल ने 'चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट' के लिए शुरू किया बड़ा खेल-संस्कृति महोत्सव

अदालत ने खारिज की अपील

अपीलकर्ता पति ने उच्च न्यायालय में समझौते और बयानों में अनभिज्ञता जताई। अदालत ने उनके बयान की विश्वसनीयता पर संदेह जताया। पति के वकील ने तलाक के आधार को परित्याग बताने की कोशिश की, लेकिन अदालत ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया। अदालत ने पारिवारिक न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

Read more

Related News