Himachal News: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य में भविष्य की निर्माण परियोजनाओं के लिए उचित डंपिंग साइट्स की पहचान करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि डंपिंग साइट्स का चयन करते समय पर्याप्त सावधानी बरती जानी चाहिए। मलबा निजी भूमि, नालों, जल निकायों और वन क्षेत्रों में न गिरे।
अदालत ने जारी किए सख्त निर्देश
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावलिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने निजी ठेकेदारों को इन निर्देशों का कड़ाई से पालन करने को कहा। अदालत ने कहा कि बिना सोचे-समझे डंप किया गया मलबा फिसलने की प्रवृत्ति रखता है। यह निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए आपदा का कारण बन सकता है।
चंबा के मामले में उठे सवाल
यह मामला जिला चंबा के गांव मोटला में मलबे को हटाने को लेकर दायर याचिका से उपजा। याचिकाकर्ता संजीवन सिंह ने मोटला से सुखीयार तक 9 किलोमीटर लंबी लिंक रोड के निर्माण के दौरान अनुचित तरीके से मलबा डंप करने का मुद्दा उठाया था। अदालत ने इसकी जांच के आदेश दिए।
पांच डंपिंग साइट्स मिली गलत
न्यायालय ने पाया कि पांच नामित डंपिंग साइट्स नालों के जलग्रहण क्षेत्रों में स्थित थीं। इससे वे अवरुद्ध हो गए थे। ठेकेदार पर लगाए गए नाममात्र के जुर्माने को अदालत ने अपर्याप्त पाया। अदालत ने बाद में 11,39,310 रुपये का अतिरिक्त जुर्माना लगाया।
जंगल की जमीन साफ करने का खर्च
अदालत ने पाया कि जंगल की जमीन से मलबा हटाने की लागत 64 लाख रुपये थी। एक अतिरिक्त 9,12,630 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण के सचिव को साइट का निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए। एसडीएम से हलफनामा मांगा गया।
