Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बेसहारा पशुओं को टैग लगाने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किए। अदालत ने राज्य सरकार से हलफनामा दायर करने को कहा है। सभी गो अभयारण्यों में रखे मवेशियों का पूरा ब्योरा प्रस्तुत करने के भी आदेश दिए गए हैं।
अदालत ने यह निर्देश याचिकाकर्ता के सुझावों पर विचार करने के बाद दिए। याचिकाकर्ता ने जिला स्तर पर बेसहारा पशुओं की जनगणना करवाने की मांग की थी। मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी। राज्य सरकार को इससे पहले अपना जवाब दाखिल करना होगा।
गो अभयारण्यों की वर्तमान स्थिति
राज्य के पशुपालन सचिव ने हलफनामे में बताया कि गो अभयारण्यों और गोसदनों में 21,306 मवेशियों का पुनर्वास किया जा चुका है। प्रदेश में वर्तमान में 15 गो अभयारण्य कार्यरत हैं। सात नए गो अभयारण्य निर्माणाधीन हैं। लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिलों में गो अभयारण्य नहीं बनाए गए हैं।
इन दो जिलों में लावारिस पशुओं का खतरा नगण्य माना जाता है। इसीलिए यहां गो अभयारण्यों में निवेश नहीं किया गया। गैर-सरकारी क्षेत्र में दो गोसदन कार्यरत हैं। इन सभी केंद्रों में पशुओं के रखरखाव की उचित व्यवस्था की गई है।
विभिन्न गो अभयारण्यों की स्थिति
जिला कांगड़ा के लुथान स्थित राधे कृष्ण गो अभयारण्य में आठ सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। यहां तूड़ी स्टोर का निर्माण कार्य 65 प्रतिशत पूरा हो चुका है। इस अभयारण्य का रखरखाव ज्वालामुखी मंदिर ट्रस्ट करेगा। नादौन गोसदन पालमपुर में 50 पशुओं की क्षमता है लेकिन वहां 55 पशु रखे गए हैं।
पितृतर्पण गोसदन में 30 पशुओं की क्षमता के मुकाबले 35 पशु रखे गए हैं। कुंदन गो अभयारण्य को मार्च 2025 में देवभूमि गो रक्षा फाउंडेशन को सौंपा गया था। इसके संचालन के लिए उपायुक्त कांगड़ा की ओर से एक समिति गठित की गई है।
बेसहारा पशुओं के लिए प्रस्तावित योजना
याचिकाकर्ता ने बेसहारा पशुओं की समस्या के स्थायी समाधान के लिए कई सुझाव दिए हैं। जिला स्तर पर जनगणना करवाने से भविष्य की आवश्यकताओं का सही अनुमान लगाया जा सकेगा। इससे राज्य सरकार को ठोस योजना बनाने में मदद मिलेगी। पशुओं को टैग लगाने से उनके प्रबंधन में सुविधा होगी।
अदालत ने राज्य सरकार से इन सुझावों पर गंभीरता से विचार करने को कहा है। बेसहारा पशुओं की उचित देखभाल और प्रबंधन सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है। इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। अदालत ने इस मामले में गंभीरता दिखाई है।
राज्य सरकार की तैयारियां
राज्य सरकार ने 31 जुलाई 2025 के आदेश के अनुपालन में हलफनामा दायर किया है। इसमें गो अभयारण्यों की वर्तमान स्थिति का विस्तृत ब्योरा दिया गया है। सरकार का कहना है कि वह बेसहारा पशुओं के पुनर्वास के लिए प्रतिबद्ध है। नए गो अभयारण्यों के निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है।
सरकार गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से भी गो अभयारण्य चला रही है। इन केंद्रों में पशुओं के लिए पर्याप्त चारा और पानी की व्यवस्था की गई है। स्वास्थ्य सुविधाओं का भी प्रबंध किया गया है। सरकार का लक्ष्य है कि कोई भी बेसहारा पशु बिना देखभाल के न रहे।
