शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट: युग हत्याकांड में फांसी की सजा पलटी, दो को उम्रकैद

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Shimla News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सात साल पुराने चर्चित युग हत्याकांड मामले में जिला अदालत के फैसले को पलट दिया है। अदालत ने दो दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया और एक आरोपी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। यह फैसला चार प्रमुख कारणों पर आधारित है।

अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि चार साल के युग को क्रूरता से मारा गया था या उसे जिंदा पानी के टैंक में फेंका गया था। मुख्य सबूतों में से एक, हैंडराइटिंग विशेषज्ञ की रिपोर्ट, पर संदेह जताया गया। कोर्ट ने इसे अविश्वसनीय पाया।

गवाही और सबूतों में कमजोरी

अभियोजन पक्ष केएक गवाह, फोरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. अरुण शर्मा की गवाही पर भी सवाल उठे। अदालत ने माना कि उनकी रिपोर्ट और बयान से यह साबित करना मुश्किल हो रहा था कि युग की मौत टैंक में डूबने से हुई। फिरौती के पत्रों को आरोपियों से न जोड़ पाना भी अभियोजन के लिए एक बड़ा झटका था।

जेल प्रशासन और मनोचिकित्सा विभाग की रिपोर्ट ने भी फैसले को प्रभावित किया। इन रिपोर्टों के अनुसार, दोषी चंद्र शर्मा और विक्रांत बक्शी का व्यवहार जेल में सामान्य और संतोषजनक पाया गया था। इस आधार पर अदालत ने फांसी की सजा को कम करने का निर्णय लिया।

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परिवार का दुख और असंतोष

हाईकोर्ट के फैसले के बाद युग का परिवार दुखी है। युग के पिता विनोद गुप्ता ने कहा कि वे अपने बेटे को न्याय दिलाने की लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने जांच एजेंसियों पर काम ठीक से न करने का आरोप लगाया। परिवार अदालत के इस फैसले से संतुष्ट नहीं है।

विनोद गुप्ता ने भावुक होकर कहा कि अगर उनका बेटा आज जीवित होता तो पंद्रह साल का हो जाता। उनका परिवार आज भी इस दुख से उबर नहीं पाया है। इस मामले ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया था।

मामले का पूरा इतिहास

चार साल केयुग गुप्ता का अपहरण 14 जून 2014 को हुआ था। शुरुआती जांच में पुलिस को सफलता नहीं मिली। बाद में मामला सीआईडी को सौंपा गया। सीआईडी की जांच में एक बड़ा मोड़ तब आया जब वर्ष 2015 में एक चोरी के मामले में आरोपी विक्रांत बख्शी का मोबाइल जब्त किया गया।

मोबाइल की फोरेंसिक जांच में युग का एक वीडियो मिला। इस वीडियो में युग रोते हुए मदद के लिए कह रहा था। इस वीडियो के आधार पर 20 अगस्त 2016 को सीआईडी ने विक्रांत, चंद्र शर्मा और तेजिंद्र पाल को गिरफ्तार किया। बाद में आरोपी विक्रांत की निशानदेही पर एक पानी के टैंक से युग का कंकाल बरामद हुआ।

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ट्रायल कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

पांच सितंबर 2018 को जिला कोर्ट ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई। सजा सुनाने के बाद जज ने कलम तोड़कर फेंक दी थी। इस घटना ने पूरे देश का ध्यान खींचा था।

इस मामले ने स्थानीय स्तर पर बहुत रोष पैदा किया था। शिमला के सैकड़ों कारोबारी सड़कों पर उतरे थे। उन्होंने हत्यारों को फांसी और परिवार के सामाजिक बहिष्कार की मांग की थी। परिवार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से भी मुलाकात की थी।

हाईकोर्ट ने अगस्त 2023 में दोनों पक्षों की दलीलें सुननी शुरू की थीं। फैसला सुरक्षित रखने के बाद 23 सितंबर को अदालत ने अपना निर्णय सुनाया। इस फैसले ने जिला अदालत के आदेश को रद्द कर दिया है। अब मामले में आगे की कार्यवाही पर सभी की नजर है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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