Shimla News: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य के शिक्षा सचिव और निदेशक के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया है। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने 24 सितंबर को दोनों अधिकारियों के खिलाफ आरोप तय करने और कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का आदेश जारी किया है। अदालत ने कहा कि प्रतिवादियों को कानून और न्यायालय के आदेशों का कोई सम्मान नहीं है।
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में अधिकारियों को अदालत के आदेशों का पालन करने का एक अंतिम मौका दिया था। उसने स्पष्ट निर्देश दिया था कि अगर आदेशों का पालन नहीं किया गया तो उन्हें कोर्ट में उपस्थित होना होगा। मामले की अगली सुनवाई के दौरान न तो हाई कोर्ट के निर्णय का पालन किया गया और न ही प्रतिवादी अदालत में पेश हुए।
यह मामला रमेश चंद राणा द्वारा दायर एक याचिका से संबंधित है। अदालत ने पहले याचिकाकर्ता को अपनी अनुबंध सेवा अवधि को पेंशन और वार्षिक वेतन वृद्धि के लिए गिनने का हकदार पाया था। शिक्षा विभाग ने याचिकाकर्ता के दावे को खारिज कर दिया था जो अदालत के आदेश के विपरीत था।
शिक्षा विभाग ने अपने बचाव में एक नए अधिनियम का हवाला दिया था। उनका तर्क था कि हिमाचल प्रदेश भर्ती एवं सरकारी कर्मचारियों की सेवा शर्तें अधिनियम, 2024 के तहत याचिकाकर्ता को यह लाभ नहीं दिए जा सकते। इस अधिनियम को कार्मिक विभाग द्वारा 19 फरवरी 2025 को अधिसूचित किया गया था।
अदालत ने विभाग के इस तर्क को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया। न्यायालय ने कहा कि जब हाई कोर्ट द्वारा पारित निर्णय अंतिम हो चुका है तो इसे एक नए अधिनियम के लागू होने के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता। अदालत ने इस कार्रवाई को गंभीर अवमानना माना है।
न्यायाधीश संदीप शर्मा ने सुनवाई के दौरान कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि प्रतिवादियों को कानून और इस न्यायालय द्वारा पारित आदेशों का कोई सम्मान नहीं है। अदालत ने इसे अवमानना का स्पष्ट मामला बताया और कानून के अनुसार कार्रवाई करने का निर्णय लिया।
मामले की अगली सुनवाई 24 सितंबर के लिए निर्धारित की गई है। इस दिन अदालत दोनों अधिकारियों के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय करेगी। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि दोनों प्रतिवादियों को इस दिन अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहना होगा।
