Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग के एक मुख्य अभियंता का वेतन कुर्क करने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायालय के पूर्व आदेश का अनुपालन न करने पर जारी किया गया है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने यह फैसला याचिकाकर्ता लखन पाल महाजन द्वारा दायर अनुपालना याचिका की सुनवाई के बाद सुनाया। अदालत ने स्पष्ट किया कि न्यायालय की अनुमति के बिना अधिकारी का वेतन जारी नहीं किया जाएगा।
न्यायालय ने विभाग को एक और मौका देते हुए मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर के लिए निर्धारित की है। यह मामला एक सेवानिवृत्त कर्मचारी के लाभों से जुड़ा हुआ है। अदालत ने पाया कि विभाग ने अपने ही कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले वैधानिक लाभ जारी नहीं किए। इसी लापरवाही के कारण यह कार्रवाई की गई है।
मुख्य अभियंता के खिलाफ कार्रवाई
हाई कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता पर कड़ी कार्रवाई की है। अदालत ने उनके वेतन को कुर्क करने का आदेश पारित किया। यह कदम न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करने के लिए उठाया गया है। न्यायाधीश गोयल ने इस मामले में गंभीरता दिखाई। उन्होंने विभागीय अधिकारियों की लापरवाही पर नाराजगी जताई।
यह मामला दर्शाता है कि न्यायपालिका सरकारी अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारी याद दिला रही है। अदालत ने स्पष्ट संदेश दिया कि न्यायालय के आदेशों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस फैसले से अन्य अधिकारियों के लिए भी चेतावनी का संकेत गया है। सभी विभागों को न्यायालय के आदेशों का पालन सुनिश्चित करना होगा।
चीफ इंजीनियर मामले में जमानत याचिका स्थगित
प्रदेश हाई कोर्ट ने चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत से जुड़े मामले में सुनवाई स्थगित की है। पूर्व प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा की जमानत याचिका पर सुनवाई 14 अक्टूबर के लिए टल गई है। न्यायालय ने मीणा को मिली अंतरिम राहत को भी 14 अक्टूबर तक बढ़ा दिया है। यह मामला न्यायाधीश विरेंदर सिंह की पीठ के समक्ष चल रहा है।
हाई कोर्ट ने सात अप्रैल को मीणा को अंतरिम राहत प्रदान की थी। अदालत ने जांच एजेंसियों को निर्देश दिया था कि वे याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करें। इस मामले में अब अगली सुनवाई का इंतजार है। सभी पक्षकार न्यायालय के अगले आदेश की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
सोलन की आवास परियोजना को हरी झंडी
हाई कोर्ट ने सोलन जिले में 144 बीघा भूमि पर प्रस्तावित एकीकृत आवास परियोजना को मंजूरी दे दी है। न्यायालय ने राज्य सरकार के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें इस परियोजना को रद्द किया गया था। यह परियोजना गांव अनेच, परगना भरोलीकलां में प्रस्तावित है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने यह फैसला सुनाया।
अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह कंपनी द्वारा प्रस्तुत संशोधित प्रोजेक्ट ड्रॉइंग्स पर विचार करे। सरकार को मौजूदा नियमों और विनियमों के तहत छह सप्ताह के भीतर उचित आदेश पारित करने के निर्देश दिए गए। इस फैसले से मेसर्स स्प्रिंगडेल रिसॉट्र्स एंड विला प्राइवेट लिमिटेड को बड़ी राहत मिली है।
न्यायालय की सख्ती जारी
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट लगातार सरकारी विभागों में अनुशासन स्थापित करने पर जोर दे रहा है। वेतन कुर्क करने का आदेश इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए। सेवानिवृत्त कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करना सरकारी विभागों का दायित्व है।
इन सभी मामलों में न्यायालय ने संतुलित रुख अपनाया है। एक तरफ जहां अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। वहीं दूसरी तरफ निवेशकों के हितों का भी ध्यान रखा गया है। सोलन की आवास परियोजना के मामले में न्यायालय ने व्यवसायिक हितों की रक्षा की है। यह फैसला राज्य में निवेश के माहौल के लिए सकारात्मक संकेत है।
