Mandi News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कोल डैम जलविद्युत परियोजना के लिए अधिग्रहीत भूमि के मालिक की पुनर्वास योजना की मांग को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की पीठ ने मंडी जिले के एक निवासी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। अदालत ने याचिका में 16 साल की देरी और पात्रता मानदंडों की पूर्ति न होने को यह निर्णय लेने का आधार बताया।
याचिकाकर्ता की मांग थी पुनर्वास का लाभ
याचिकाकर्ता ने गांव आहन में अपनी दो बिस्वा जमीन के अधिग्रहण के बाद मुआवजे के अलावा पुनर्वास योजना के लाभ की मांग की थी। उसका तर्क था कि परियोजना के कारण विस्थापित हुए लोगों को इस योजना का लाभ मिलना चाहिए। इसके जवाब में एनटीपीसी ने अदालत में जानकारी दी कि याचिकाकर्ता योजना के पात्रता मानदंडों पर खरा नहीं उतरता।
अदालत ने माना देरी और अयोग्यता आधार
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता ने जमीन के अधिग्रहण के 16 साल बाद यह मुद्दा उठाया। यह एक अनुचित देरी है। साथ ही, पुनर्वास योजना के नियमों के अनुसार, लाभ पाने के लिए व्यक्ति का नाम संबंधित पंचायत के परिवार रजिस्टर में दर्ज होना जरूरी था। याचिकाकर्ता का नाम गांव आहन के रजिस्टर में नहीं था, क्योंकि वह वहां का स्थायी निवासी नहीं था।
जमीन खरीदने का उद्देश्य था संदेहास्पद
कोर्ट ने अपने अवलोकन में कहा कि याचिकाकर्ता ने जानबूझकर उस जमीन को खरीदा था। उसे परियोजना के बारे में पहले से जानकारी थी। उसका उद्देश्य मुआवजे और योजना का लाभ उठाना था। चूंकि वह पात्रता शर्तों को पूरा नहीं करता था, इसलिए अधिकारियों द्वारा उसकी मांग को खारिज करना उचित था। अदालत ने नाथू बनाम एनटीपीसी मामले की याचिका को खारिज करते हुए माना कि अधिकारियों का निर्णय सही था।
