Himachal News: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने ग्राम रोजगार सेवकों को एक बड़ी राहत प्रदान की है। कोर्ट ने राज्य ग्रामीण विकास विभाग के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें इन कर्मचारियों से नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करने को कहा गया था। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने 130 याचिकाकर्ताओं की संयुक्त याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई की। कोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ताओं की मुख्य मांग
याचिकाकर्ताओंने अपनी याचिका में विभागीय आदेश को रद्द करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने अपने पदों को पंचायत सचिव के रूप में एकमुश्त नियमित करने का अनुरोध किया है। उनका तर्क है कि वे लंबे समय से पंचायत स्तर पर सरकारी योजनाओं का संचालन कर रहे हैं। वे तकनीकी कार्यों में भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
याचिकाकर्ताओं का मानना है कि सरकार को बार-बार अनुबंध बदलने के बजाय उन्हें स्थायी नौकरी देनी चाहिए। इससे उनके भविष्य में स्थिरता आएगी। वर्तमान प्रथा उनके करियर में अनिश्चितता पैदा कर रही है। यह मामला सरकारी कर्मचारियों की job security से सीधे जुड़ा हुआ है।
विवादित आदेश क्या था
ग्रामीण विकास विभाग नेआठ सितंबर 2025 को एक आदेश जारी किया था। इस आदेश के तहत सभी ग्राम रोजगार सेवकों, कंप्यूटर ऑपरेटरों और तकनीकी सहायकों को नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करने का निर्देश दिया गया था। इस आदेश के खिलाफ कर्मचारियों ने सामूहिक याचिका दायर की थी।
कर्मचारी लंबे समय से तीन मुख्य मांगों को लेकर आवाज उठा रहे थे। उनकी मांगों में नियमितीकरण, समय पर वेतन भुगतान और स्थायी नौकरी शामिल थी। बार-बार अस्थायी अनुबंध नवीनीकरण ने उनके भविष्य को असुरक्षित बना दिया था। यह समस्या राज्य के कई विभागों में व्याप्त है।
हाईकोर्ट की सुनवाई का असर
हाई कोर्ट केइस फैसले का सीधा असर सैकड़ों कर्मचारियों पर पड़ेगा। ये सभी कर्मचारी विभिन्न पंचायतों में कार्यरत हैं। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। इस दौरान प्रतिवादी पक्ष को अपना जवाब दाखिल करना होगा।
यह मामला सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मामला बन गया है। कोर्ट का यह निर्णय भविष्य में ऐसे ही मामलों के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है। कर्मचारी संगठन इस फैसले को एक बड़ी सफलता मान रहे हैं। सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
