शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट: पूर्व सांसद के बेटे डॉ. बृजेश्वर कश्यप की अग्रिम जमानत याचिका खारिज, जानें क्या बोली अदालत

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने शिमला संसदीय क्षेत्र से भाजपा के पूर्व सांसद वीरेंद्र कश्यप के बेटे डॉ. बृजेश्वर कश्यप की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। न्यायाधीश विरेंदर सिंह की अदालत ने सरकारी पक्ष की दलीलों को स्वीकार करते हुए यह निर्णय सुनाया। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए याचिका का विरोध किया था।

अदालत ने माना कि आरोपी सीधे उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर नहीं कर सकता। उसे पहले सत्र न्यायालय का रुख करना चाहिए। इसके बाद याचिकाकर्ता ने अग्रिम जमानत याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। अदालत ने उसे सत्र न्यायाधीश सोलन के समक्ष याचिका दायर करने की छूट प्रदान की।

शादी के झांसे में यौन शोषण का आरोप

डॉ. बृजेश्वर कश्यप पर एक महिला ने दुष्कर्म का गंभीर आरोप लगाया है। पीड़िता ने सोलन स्थित महिला थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है। आरोपों के अनुसार बृजेश्वर कश्यप लगभग दो साल से शादी का झांसा देकर यौन शोषण कर रहा था।

जब पीड़िता ने विवाह करने का दबाव बनाया तो उसने इनकार कर दिया। याचिका की सुनवाई के दौरान डॉ. बृजेश्वर कश्यप स्वयं हाई कोर्ट में उपस्थित थे। पुलिस जांच के दौरान आरोपी के खिलाफ सबूत जुटाए जा रहे हैं। मामले में आगे की कार्रवाई साक्ष्यों पर निर्भर करेगी।

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भाजपा नेता के भाई पर भी दुष्कर्म आरोप

इससे पहले हिमाचल प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल के बड़े भाई को भी दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वह अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं। आरोपित एक वैद्य हैं और आरोप है कि उन्होंने एक 25 वर्षीय युवती का यौन शोषण किया।

युवती आरोपित के पास इलाज कराने के लिए आई हुई थी। इस मामले ने भी प्रदेश में काफी सुर्खियां बटोरी थीं। दोनों मामलों में आरोपियों का राजनीतिक संबंध होने से मामलों को लेकर जनता में विशेष रुचि देखी जा रही है। पुलिस दोनों मामलों में तथ्यों की जांच कर रही है।

अग्रिम जमानत की कानूनी प्रक्रिया

उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अग्रिम जमानत के लिए सीधे उच्च न्यायालय का रुख करना कानूनी प्रक्रिया के विरुद्ध है। आरोपी को पहले सत्र न्यायालय में याचिका दायर करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्देशों के अनुसार यह प्रक्रिया सभी के लिए समान रूप से लागू होती है।

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सरकारी वकील ने न्यायालय में सुप्रीम कोर्ट के संबंधित आदेशों का उल्लेख किया। इन आदेशों में अग्रिम जमानत की प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। न्यायालय ने इन तर्कों को स्वीकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया। यह निर्णय कानूनी प्रक्रिया की सही पालना को दर्शाता है।

मामले की वर्तमान स्थिति

डॉ. बृजेश्वर कश्यप ने हाई कोर्ट से याचिका वापस लेने की अनुमति प्राप्त कर ली है। अब वह सोलन के सत्र न्यायाधीश के समय अग्रिम जमानत के लिए नई याचिका दायर कर सकते हैं। पुलिस जांच इस बीच जारी रहेगी और नए तथ्य सामने आते रहेंगे।

पीड़िता की ओर से दायर शिकायत में विस्तार से आरोप लगाए गए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस संवेदनशीलता के साथ कार्यवाही कर रही है। आरोपी और पीड़िता दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। अब न्यायिक प्रक्रिया के तहत मामले की सुनवाई होगी।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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