Shimla News: हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही भारी बारिश ने पूरे प्रदेश को प्रभावित किया है। मौसम विभाग ने आने वाले दो दिनों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। राज्य में तीन राष्ट्रीय राजमार्ग और 819 सड़कें बंद हो गई हैं। बिजली और पानी की आपूर्ति व्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई है।
चंबा और मंडी सबसे अधिक प्रभावित
चंबा जिले में 253 सड़कें बंद हुई हैं। मंडी में 206 और कुल्लू में 175 सड़कों पर यातायात ठप पड़ा है। कांगड़ा में 61, शिमला में 39 और ऊना में 22 सड़कें बंद हैं। कुल्लू के दो और मंडी के एक राष्ट्रीय राजमार्ग पूरी तरह से बंद हो गए हैं। यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।
बिजली और पानी की आपूर्ति प्रभावित
प्रदेश में 1236 ट्रांसफार्मर काम करना बंद कर चुके हैं। 424 पेयजल योजनाएं ठप पड़ी हैं। कुल्लू में 357, चंबा में 296 और मंडी में 177 ट्रांसफार्मर बंद हैं। कांगड़ा, मंडी, शिमला और अन्य जिलों में पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। लोगों को पीने के पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।
पौंग बांध का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर
कांगड़ा जिले में पौंग बांध का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया है। बांध का स्तर 1391.31 फीट दर्ज किया गया। खतरे का निशान 1390 फीट है। बांध से नियंत्रित तरीके से पानी छोड़ा जा रहा है। फतेहपुर और इंदौरा उपमंडल के 90 से अधिक गांवों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं।
भूस्खलन और सड़क दुर्घटनाएं
शिमला के विकासनगर में भूस्खलन हुआ। सड़क पर खड़ी गाड़ी मलबे की चपेट में आ गई। मंडी-कुल्लू मार्ग पर दवाड़ा झलोगी के पास एक एम्बुलेंस सड़क से नीचे गिर गई। यह ब्यास नदी में समाने से बाल-बाल बच गई। इस हादसे में एक व्यक्ति घायल हुआ है। कुल्लू जिले में नग्गर के पास नौंतर और बाड़ नाले में अचानक आई बाढ़ से मनाली-नग्गर-कुल्लू मार्ग बाधित हो गया।
मणिमहेश यात्रा में फंसे श्रद्धालु
चंबा जिले में मणिमहेश यात्रा के दौरान भरमौर में फंसे करीब 10 हजार श्रद्धालुओं को सुरक्षित चंबा पहुंचा दिया गया है। अभी भी विभिन्न स्थानों पर फंसे करीब चार हजार श्रद्धालुओं को निकालने का प्रयास जारी है। बिलासपुर जिले में नैना देवी मार्ग भूस्खलन से बंद हो गया है। लोक निर्माण विभाग ने जेसीबी और मजदूरों को सड़क बहाली में लगा दिया है।
जान-माल का भारी नुकसान
इस मानसून सीजन में अब तक 320 लोगों की मौत हो चुकी है। मंडी में 51, कांगड़ा में 49 और चंबा में 36 लोगों की जान गई है। 4041 घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। इनमें से 824 पूरी तरह ढह गए हैं। मंडी जिले में 1592 मकानों को नुकसान हुआ है। 467 दुकानें और 3646 पशुशालाएं भी तबाह हो चुकी हैं। अब तक 3042 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान दर्ज किया गया है।
