Shimla News: हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने राज्य में मौजूदा मानसून सीजन के दौरान आई भीषण प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव पेश किया। संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने यह प्रस्ताव नियम 102 के तहत पेश किया। विपक्ष ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया। इस आपदा से प्रदेश को अब तक साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
पिछले कुछ वर्षों में बदलती स्थिति
लोकनिर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने प्रस्ताव पर चर्चा शुरू की। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से यह सिलसिला शुरू हुआ है। यह लगातार गंभीर होता जा रहा है। उन्होंने बताया कि पहले ऐसी आपदाएं केवल पुराने हिमाचल तक सीमित थीं। अब इन आपदाओं ने पूरे प्रदेश को अपनी चपेट में ले लिया है।
लंबी अवधि की योजना की आवश्यकता
मंत्री ने इन आपदाओं से निपटने के लिए लंबी अवधि की योजनाएं बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर पहाड़ों का चीरहरण रोकना होगा। इसके लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर प्रयास करने होंगे। उन्होंने सतलुज नदी पर बने कोल डैम का उदाहरण दिया। इससे शिमला की जलवायु ही बदल गई है।
सुरंग मार्ग से सड़क निर्माण का प्रस्ताव
विक्रमादित्य सिंह ने मौजूदा हालात को देखते हुए एक महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने कहा कि ढली से रामपुर के लिए प्रस्तावित सड़क का अधिकांश हिस्सा सुरंग माध्यम से बनाया जाएगा। केंद्र सरकार से इसकी मांग की जाएगी। डीपीआर में भी इसे शामिल किया जाएगा। इससे आपदा के समय संपर्क बना रहेगा।
लोक निर्माण विभाग को भारी नुकसान
लोक निर्माण विभाग को इस आपदा से सबसे अधिक नुकसान हुआ है। मंत्री ने बताया कि विभाग को 1444 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। उन्होंने माना कि वर्ष 2023 में आई प्राकृतिक आपदा से निपटने में केंद्र का सहयोग मिला था। इस साल भी केंद्र से विशेष सहायता की उम्मीद है।
मंडी-कमांद मार्ग का महत्व
मंत्री ने मंडी से कमांद होकर कुल्लू जाने वाले मार्ग के महत्व पर प्रकाश डाला। 24 से 26 अगस्त के बीच हुई अतिवृष्टि के बाद यह मार्ग लाहौल-स्पीति और कुल्लू जिलों के लिए लाइफ लाइन बन गया है। इस मार्ग को ठीक करने के लिए सरकार ने छह करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि दी है।
जलमार्ग से सेब ढुलाई का विचार
सरकार कुल्लू घाटी से पंडोह डैम तक सेब की ढुलाई जलमार्ग से करने पर विचार कर रही है। यह निर्णय सड़क संपर्क बहाल होने तक किसानों की मदद के लिए लिया जा रहा है। इससे किसानों के सेब का नुकसान कम होगा। व्यापारिक गतिविधियों में भी सुधार होगा।
नदी-नालों में ड्रेजिंग की जरूरत
ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने नदी-नालों में ड्रेजिंग की तुरंत आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि हर साल आ रही प्राकृतिक आपदाओं से नदियों और नालों के रिवर बेड की ऊंचाई बढ़ रही है। इस कारण इन नदी नालों का पानी किनारों पर बहकर नुकसान पहुंचा रहा है।
