शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: पंडोह डैम के पास दयोड़ गांव में तीसरी बार धंसी जमीन, विशाल गड्ढे से मंडराया बड़ा खतरा

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Himachal News: मंडी जिले के पंडोह डैम के नजदीक स्थित दयोड़ गांव में एक बार फिर जमीन धंस गई है। 31 अक्टूबर की रात हुई इस घटना में एक विशालकाय गड्ढा बन गया, जिससे आसपास के दो घर और एक स्कूल खतरे की जद में आ गए हैं। यह इस स्थान पर तीसरी बार हो रही ऐसी घटना है, जिसने ग्रामीणों में दहशत फैला दी है और प्रशासन को कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया है।

एसडीएम सदर रूपिंद्र कौर ने मंगलवार को तहसीलदार सदर, एनएचएआई और निर्माण कंपनी के अधिकारियों के साथ मौके का जायजा लिया। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि धंसने वाली जमीन ठीक एक टनल के ऊपर स्थित है। हालांकि, यह राहत की बात है कि टनल को इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है और मलबा सुरंग के अंदर नहीं गिरा है।

एसडीएम ने एनएचएआई के अधिकारियों को इस घटना की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि दो दिनों के भीतर यह पता लगाया जाए कि जमीन क्यों धंस रही है और इसकी रोकथाम के लिए क्या ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग की जा रही है।

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ग्राम पंचायत हटौण के पूर्व प्रधान दलीप ठाकुर ने बताया कि इस विशाल गड्ढे को तुरंत भरने की जरूरत है, नहीं तो आने वाले समय में कोई बड़ा हादसा हो सकता है। उन्होंने प्रशासन और एनएचएआई को चेतावनी दी है कि अगर दो दिनों के भीतर समस्या का समाधान नहीं निकाला गया, तो ग्रामीण आंदोलन पर उतर आएंगे।

जमीन धंसने से सबसे अधिक प्रभावित हरदेव शर्मा का परिवार बेघर हो गया है। हरदेव शर्मा ने निर्माण कंपनी से एक करोड़ साठ लाख रुपये के मुआवजे की मांग की है। उनका आरोप है कि टनल निर्माण के कारण ही उनकी जमीन और घर को यह नुकसान हुआ है। उन्होंने मांग की है कि कंपनी उनकी जमीन का अधिग्रहण करे और उचित मुआवजा दे।

ग्रामीणों का मानना है कि एनएचएआई की सुरंग के निर्माण ने भूमिगत संरचना को कमजोर कर दिया है, जिसके चलते यह समस्या लगातार बनी हुई है। स्थानीय लोगों ने बताया कि साल 2022 से अब तक यहां तीन बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक इसका कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है।

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पिछली बार जमीन धंसने पर बने गड्ढों को भर दिया गया था, लेकिन मौजूदा गड्ढा इतना बड़ा है कि उसे भरना अब एक बड़ी चुनौती बन गया है। बारिश के मौसम में भी इस इलाके में जमीन धंसने की वजह से राष्ट्रीय राजमार्ग को कई बार बंद करना पड़ा था, जिससे यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ था।

प्रभावित परिवारों ने तत्काल राहत सामग्री, पूर्ण मुआवजा और सुरक्षित स्थान पर पुनर्वास की मांग की है। उनका कहना है कि अगर समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो जान-माल का भारी नुकसान हो सकता है। स्थानीय लोगों का डर है कि यह गड्ढा और भी बड़ा हो सकता है।

इस पूरे मामले ने स्थानीय प्रशासन और एनएचएआई की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि पहले की दो घटनाओं के बाद भी इंजीनियरिंग दृष्टि से टिकाऊ समाधान नहीं किया गया, जिसके कारण यह समस्या बार-बार सामने आ रही है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान कब निकालता है।

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