Himachal News: हिमाचल प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों में आउटसोर्स पर तैनात कंप्यूटर शिक्षकों के नियमितीकरण के हाईकोर्ट आदेश को चुनौती देगी। राज्य सरकार हाईकोर्ट की एकल पीठ के फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच में पुनर्विचार याचिका दायर करेगी। विधि विभाग ने याचिका का प्रस्ताव तैयार कर शिक्षा विभाग को भेज दिया है।
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 17 सितंबर को लगभग 1,300 आउटसोर्स कंप्यूटर शिक्षकों को नियमित करने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद शिक्षकों में खुशी थी लेकिन सरकार की पुनर्विचार याचिका से मामला अटका हुआ है। शिक्षा विभाग अब कैबिनेट की मंजूरी के लिए तैयारी कर रहा है।
विधि विभाग की चिंताएं और तर्क
विधि विभाग ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि एकल पीठ के आदेश को लागू करने से वित्तीय और प्रशासनिक असंतुलन पैदा हो सकता है। अगर आउटसोर्स कंप्यूटर शिक्षकों को नियमित किया गया तो अन्य विभागों में समान परिस्थितियों में कार्यरत कर्मी भी ऐसी ही मांग करने लगेंगे। इससे सरकार के सामने बड़े पैमाने पर नियमितीकरण की मांगें उठ सकती हैं।
विधि विभाग ने शिक्षा विभाग से कहा है कि वह इस मामले में राज्य सरकार की स्थिति स्पष्ट करे। कोर्ट में पेश की जाने वाली याचिका के बिंदुओं को अंतिम रूप देने की आवश्यकता है। विभाग ने चेतावनी दी है कि इससे सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है।
शिक्षकों की वर्तमान स्थिति और मांग
कंप्यूटर शिक्षकों ने पिछले कई वर्षों से अपने नियमितीकरण की मांग उठाई है। इन शिक्षकों को स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। लेकिन वे आउटसोर्स एजेंसियों के माध्यम से नियुक्त हैं। उन्हें न तो स्थायी वेतनमान मिल रहा है और न ही सरकारी सेवा से जुड़े लाभ।
शिक्षकों का कहना है कि वे समान कार्य के लिए समान वेतन के हकदार हैं। उन्हें नौकरी की सुरक्षा और सेवा लाभों की आवश्यकता है। कई शिक्षकों ने लंबे समय से कार्यरत होने के बावजूद भी स्थायी स्थिति प्राप्त नहीं की है। यह मामला शिक्षकों के हितों से सीधे जुड़ा हुआ है।
संभावित प्रशासनिक प्रभाव
विधि विभाग ने अपने नोट में यह भी उल्लेख किया है कि अगर इस आदेश को बिना चुनौती के लागू किया गया तो अन्य विभागों में कंप्यूटर ऑपरेटर और डेटा एंट्री ऑपरेटर भी इसी प्रकार के दावे कर सकते हैं। लैब असिस्टेंट, क्लर्क और अन्य कर्मचारी भी नियमितीकरण की मांग कर सकते हैं। इससे सरकारी व्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
राज्य सरकार का मानना है कि इस तरह के निर्णय से सरकारी नीतियों और बजट पर दबाव बढ़ेगा। सभी आउटसोर्स कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग उठ सकती है। इसलिए सरकार ने इस मामले में सावधानी बरतने का निर्णय लिया है।
आगे की कानूनी प्रक्रिया
शिक्षा विभाग अब मामले का विधिवत परीक्षण कर रहा है। पुनर्विचार याचिका की मंजूरी के लिए कैबिनेट की स्वीकृति लेनी होगी। विधि विभाग ने सभी कानूनी पहलुओं का विश्लेषण किया है। याचिका दायर करने से पहले सरकार अपनी स्थिति और तर्कों को मजबूत करेगी।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में याचिका दायर की जाएगी। सरकार का मानना है कि एकल पीठ के आदेश में कुछ कानूनी पहलुओं पर पर्याप्त विचार नहीं हुआ है। सरकार वित्तीय और प्रशासनिक कारणों से इस आदेश को चुनौती देने जा रही है। अगली सुनवाई में दोनों पक्ष अपने-अपने तर्क रखेंगे।
