Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के ऊपर से गैर-शैक्षणिक कार्यों का बोझ कम होगा। शिक्षा विभाग ने इस संबंध में नए नियम बनाने का निर्णय लिया है। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस पर विस्तृत चर्चा की गई। इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को अधिक समय बच्चों को पढ़ाने के लिए देना है।
विभाग ने गैर-शैक्षिक कार्यों में पारदर्शिता और समान वितरण के लिए यह कदम उठाया है। निदेशक स्कूल शिक्षा विभाग आशीष कोहली ने सभी जिलों के उपनिदेशकों को पत्र भेजा है। इसमें उनसे इस संबंध में सुझाव मांगे गए हैं। विभाग शिक्षकों के कार्यभार में संतुलन बनाना चाहता है।
शिक्षकों के दायित्वों में असमानता
पिछलीसमीक्षा बैठक में पाया गया कि शिक्षकों के दायित्वों में एकरूपता नहीं है। एक शिक्षक के पास अधिक कार्य हैं तो कई के पास कोई विशेष कार्य नहीं है। इस असंतुलन को दूर करने के लिए नए सिरे से कार्यों का आवंटन किया जाएगा। विभाग शिक्षण कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहता है।
शिक्षक वर्षों से गैर-शैक्षणिक कार्यों के बोझ की शिकायत करते रहे हैं। उनका मानना है कि इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। खराब परीक्षा परिणामों के बाद यह मांग और जोर पकड़ने लगी थी। विभाग ने अब इस दिशा में गंभीरता से काम शुरू कर दिया है।
31 प्रकार के गैर-शिक्षण कार्य
स्कूलोंमें शिक्षकों से 31 विभिन्न प्रकार के गैर-शैक्षिक कार्य करवाए जाते हैं। इनमें छात्रवृत्ति, एनएसएस, ईको क्लब और एनसीसी जैसे कार्य शामिल हैं। मिड-डे-मील, वर्दी और किताबों का वितरण भी शिक्षकों की जिम्मेदारी है। स्काउट एंड गाइड और आपदा प्रबंधन का कार्य भी उन्हें सौंपा जाता है।
पुस्तकालय रखरखाव, युवा संसद और स्वच्छता अभियान भी शिक्षकों के दायरे में आते हैं। सरकारी सर्वे, मतदाता सूची अद्यतन और जनगणना जैसे कार्य भी उन्हें करने पड़ते हैं। जागरूकता अभियान, प्रशिक्षण और रिकॉर्ड रखरखाव में भी उनका समय लगता है।
सुझावों पर होगी आगामी कार्रवाई
विभाग नेसभी उपनिदेशकों को एक सर्कुलर और परफार्मा भेजा है। जिला स्तर से सुझाव प्राप्त होने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। संभावना है कि कई गैर-शैक्षणिक कार्य डाटा एंट्री ऑपरेटरों को सौंपे जाएं। इससे शिक्षकों को राहत मिलेगी।
शिक्षकों की मुख्य जिम्मेदारी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है। गैर-शैक्षणिक कार्यों में उलझे रहने से यह प्रभावित हो रहा था। नए बदलावों से शिक्षण कार्यों में सुधार की उम्मीद है। विभाग शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
यह पहल हिमाचल प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। शिक्षकों के कार्यभार में कमी से छात्रों को लाभ मिलेगा। विभाग का लक्ष्य शैक्षणिक वातावरण में सुधार लाना है। इससे राज्य के शिक्षा स्तर में सकारात्मक बदलाव आएगा।
