Shimla News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में एक मजबूत औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की अपनी प्रतिबद्धता जताई है। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के शिखर सम्मेलन में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि सरकार सक्रिय सुधारों और सहयोग पर विश्वास करती है। उन्होंने वित्तीय बाधाओं के बावजूद विकासात्मक पहलुओं को आगे बढ़ाने पर जोर दिया।
सम्मेलन का विषय ‘एक लचीले हिमाचल प्रदेश का पुनर्निर्माण’ था। इसका लक्ष्य सतत विकास और आर्थिक लचीलापन बढ़ाने की रणनीति तैयार करना था। नीति निर्माताओं और उद्योग जगत के नेताओं ने इस महत्वपूर्ण चर्चा में भाग लिया। सभी ने राज्य के दीर्घकालिक अवसरों को खोलने पर सहमति जताई।
अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी नजीम ने राज्य की अर्थव्यवस्था की संभावनाओं को रेखांकित किया। उन्होंने माना कि बुनियादी ढांचे की कमी और नियामक चुनौतियां हैं। लेकिन उन्होंने आर्थिक विकास की अपार संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला। यह सकारात्मक दृष्टिकोण उद्योगों के लिए एक उम्मीद की किरण है।
निवेश की राह में आने वाली चुनौतियां
सी आई आई हिमाचल केअध्यक्ष दीपक गर्ग ने हरित प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने की बात कही। उनका मानना है कि मजबूत प्रणालियों से स्थायी विकास का आधार तैयार होगा। शिखर सम्मेलन में हिमाचल को प्रमुख निवेश गंतव्य बनाने पर जोर दिया गया। इसके लिए मौजूदा चुनौतियों को दूर करना सबसे जरूरी कदम माना गया।
बेहतर बुनियादी ढांचा इस योजना की रीढ़ है। उन्नत सड़कें, रेल संपर्क और हवाई कनेक्टिविटी पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह कदम न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा बल्कि औद्योगिक विस्तार में भी मदद करेगा। एकीकृत दृष्टिकोण ही सफलता की कुंजी साबित होगी।
उद्योग मंत्री ने वित्तीय दबाव की चुनौती को स्वीकार किया। वेतन और देनदारियों जैसी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना राज्य के लिए महत्वपूर्ण है। इन चुनौतियों के बावजूद सरकार विकास के रास्ते खोजने में लगी है। सरकार और उद्योग जगत के बीच सहयोग इसका मुख्य आधार बनेगा।
इस कार्यक्रम में सीआईआई के कई वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद थे। इनमें उपाध्यक्ष संजय सूरी और पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र गुलेरिया शामिल थे। उद्योग जगत के इन नेताओं ने राज्य की प्रगति में अपना योगदान देने का विश्वास दिलाया। सभी ने मिलकर हिमाचल प्रदेश के उज्ज्वल भविष्य की कल्पना की।
