Shimla News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के तहत कार्यरत अपने कर्मचारियों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार अब NPS कर्मचारियों को केंद्र सरकार के समान महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) प्रदान करेगी। इस संबंध में आदेश 10 अक्टूबर 2024 से प्रभावी होंगे। इसके अलावा, रद्द हुए विज्ञापनों के लिए आवेदकों की फीस वापस की जाएगी।
महंगाई भत्ते के अंतर को किया खत्म
राज्य सरकार ने NPS कर्मचारियों के पेंशन अंशदान में मिलने वाले महंगाई भत्ते के अंतर को पूरी तरह से खत्म करने का निर्णय लिया है। यह जानकारी विधायक लोकेंद्र कुमार के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में विधानसभा में दी गई। इस कदम से राज्य के NPS कर्मचारियों को महत्वपूर्ण वित्तीय राहत मिलने की उम्मीद है।
केंद्र सरकार के नियमों पर टिप्पणी से इनकार
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को जो महंगाई भत्ता देती है, उस पर टिप्पणी करना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। राज्य का उद्देश्य केवल अपने कर्मचारियों के लिए होने वाले भत्ते के अंतर को दूर करना है। नए आदेशों के जरिए इस असमानता को समाप्त कर दिया गया है।
रद्द पदों के आवेदन शुल्क की वापसी
राज्य सरकार ने एक और महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि पूर्व सरकार के दौरान रद्द किए गए पदों के लिए जमा किए गए आवेदन शुल्क को वापस किया जाएगा। पोस्ट कोड-965 के अंतर्गत विज्ञापित 1,15,503 पदों को प्रशासनिक कारणों के आधार पर रद्द कर दिया गया था।
नए सिरे से होगी भर्ती प्रक्रिया
राज्य सरकार ने बताया कि इन रद्द पदों को फिर से विज्ञापित किया जाएगा। यह तब होगा जब संबंधित विभागों से फिर से मांग पत्र प्राप्त हो जाएंगे। हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग, हमीरपुर ने 2 मई 2025 के एक पत्र में इस बारे में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
सभी श्रेणियों के लिए एक समान परीक्षा शुल्क
राज्य चयन आयोग ने परीक्षा शुल्क के संरचना में भी बदलाव किया है। अब सामान्य और आरक्षित दोनों श्रेणियों के उम्मीदवारों के लिए परीक्षा शुल्क 800 रुपये निर्धारित किया गया है। पहले आयोग सामान्य श्रेणी से 360 रुपये और आरक्षित श्रेणी से 120 रुपये लेता था।
बढ़ी हुई लागत है कारण
परीक्षा शुल्क बढ़ाने का मुख्य कारण कंप्यूटर आधारित परीक्षण (CBT) आयोजित करने की बढ़ती लागत बताई गई है। आयोग का कहना है कि सीबीटी परीक्षा आयोजित करने की संभावित लागत पहले से निर्धारित शुल्क से काफी अधिक है। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि सभी श्रेणियों के लिए एक मानक शुल्क रखी जाए।
