Himachal News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने ऑनलाइन जमाबंदी व्यवस्था में बड़ा सुधार किया है। अब नागरिकों को उनकी जमीन की जमाबंदी डिजिटल हस्ताक्षर और क्यूआर कोड के साथ ऑनलाइन मिलेगी। इस नई प्रक्रिया से लोगों को पटवारी के हस्ताक्षर के लिए अब दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। राजस्व विभाग ने इस संशोधित प्रक्रिया पर जनता से सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित की हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव केके पंत ने इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी है।
यह कदम नागरिकों को घर बैठे बेहतर सुविधा देने के उद्देश्य से उठाया गया है। पहले ऑनलाइन जमाबंदी में पटवारी के डिजिटल हस्ताक्षर शामिल नहीं थे। इस कमी के कारण लोगों को अंतिम दस्तावेज प्राप्त करने के लिए पटवार सर्किल का रुख करना पड़ता था। नई व्यवस्था में डिजिटल हस्ताक्षर जुड़ने से यह प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन और कागज रहित हो गई है। इससे समय और संसाधनों की बचत होगी।
क्यूआर कोड से मिलेगी जमीन की पूरी जानकारी
नई ऑनलाइन जमाबंदी में क्यूआर कोड एक महत्वपूर्ण विशेषता है। नागरिक इस क्यूआर कोड को अपने स्मार्टफोन से स्कैन कर सकते हैं। स्कैन करते ही जमीन से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां उनके सामने आ जाएंगी। इस तकनीक से जानकारी की पारदर्शिता और सुलभता बढ़ेगी। यह भूमि रिकॉर्ड के प्रबंधन को अधिक आधुनिक और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाता है। अब लोग बिना किसी अड़चन के अपनी जमीन का ब्यौरा तुरंत प्राप्त कर सकते हैं।
राजस्व विभाग ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी अधिकांश सेवाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित कर दिया है। जमाबंदी ऑनलाइन करना इसी दिशा में एक कदम था। हालांकि, तकनीकी खामियों के कारण प्रक्रिया पूरी तरह से सुव्यवस्थित नहीं थी। नागरिकों को अभी भी शारीरिक रूप से उपस्थित होकर दस्तावेजों को अंतिम रूप देना पड़ता था। नई व्यवस्था से यह बाधा दूर हो गई है और डिजिटल सफलता पूरी हुई है।
एक सप्ताह के भीतर दें सुझाव
राजस्व विभाग ने इस नई व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए जनभागीदारी का रास्ता अपनाया है। विभाग ने आम जनता और हितधारकों से एक सप्ताह के भीतर अपने सुझाव और आपत्तियां साझा करने का आग्रह किया है। यह कदम नीति निर्माण में पारदर्शिता और समावेशिता को दर्शाता है। कोई भी व्यक्ति या संस्था प्रस्तावित डिजिटल प्रारूप पर अपनी राय दे सकती है। इससे पहले कि इसे अंतिम रूप दिया जाए, सभी पहलुओं पर विचार किया जा सकेगा।
अतिरिक्त मुख्य सचिव केके पंत द्वारा जारी अधिसूचना में इस संबंध में सभी आवश्यक दिशा-निर्देश शामिल हैं। यह अधिसूचना राजस्व विभाग के आधिकारिक पोर्टल पर उपलब्ध है। इसमें डिजिटल हस्ताक्षर और क्यूआर कोड को शामिल करने के तकनीकी पहलुओं का उल्लेख किया गया है। इसका उद्देश्य भूमि रिकॉर्ड प्रणाली में पूर्ण डिजिटलीकरण सुनिश्चित करना है। यह सुधार ‘ई-गवर्नेंस’ और ‘डिजिटल इंडिया’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
इस नई प्रक्रिया से भूमि संबंधी विवादों में कमी आने की भी उम्मीद है। डिजिटल हस्ताक्षर और क्यूआर कोड युक्त दस्तावेज अधिक प्रामाणिक और हैकिंग से सुरक्षित होंगे। इससे नकली दस्तावेजों के बनाने की संभावना कम हो जाएगी। जमीन की बिक्री, खरीद और बंधक जैसे लेनदेन में पारदर्शिता बढ़ेगी। नागरिकों के लिए अपने भूमि रिकॉर्ड का प्रबंधन करना पहले से कहीं अधिक आसान हो जाएगा।
हिमाचल प्रदेश सरकार का यह प्रयास नागरिक-केंद्रित शासन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह सुधार दर्शाता है कि तकनीक का सही उपयोग करके जनसेवाओं को कैसे सरल बनाया जा सकता है। इससे सरकारी विभागों की कार्यकुशलता में भी सुधार आएगा। पटवारियों का समय अब दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के बजाय और अधिक उत्पादक कार्यों में लगेगा। अंततः, यह पूरी प्रणाली के लिए एक लाभदायक बदलाव साबित होगा।
