Shimla News: हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा हायर ग्रेड-पे की अधिसूचना वापस लेने के फैसले पर राज्य के कर्मचारी संगठन नाराजगी जता रहे हैं। इस मामले को लेकर सोमवार को कर्मचारियों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात करेगा और इस कदम को तत्काल वापस लेने की मांग करेगा।
अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ और गैर शिक्षक कर्मचारी महासंघ ने वर्चुअल बैठक कर इस मुद्दे पर चर्चा की। बैठक में यह तय किया गया कि एक शिष्टमंडल मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना से मिलेगा। प्रतिनिधिमंडल वित्त विभाग की इस अधिसूचना को तुरंत रद्द करने की मांग करेगा।
हालांकि, इस मामले पर कर्मचारी संगठनों के भीतर भी मतभेद सामने आए हैं। विनोद गुट ने इस फैसले का समर्थन किया है। उनका कहना है कि सरकार की मंशा गलत नहीं है और यह निर्णय उचित है। उन्होंने कहा कि छठे वेतन आयोग की खामियों को देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है।
महासंघ के अध्यक्ष त्रिलोक ठाकुर ने इस अधिसूचना को अन्यायपूर्ण और अव्यावहारिक बताया। उन्होंने कहा कि इससे 89 श्रेणियों के हजारों कर्मचारियों को प्रतिमाह 15 से 20 हजार रुपये का वित्तीय नुकसान होगा। यह नुकसान उन कर्मचारियों को होगा जिन्होंने नियमित होने के बाद दो साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है।
उन्होंने आगे कहा कि इसका असर कर्मचारियों के घरेलू खर्च, कर्ज चुकाने और बच्चों की पढ़ाई पर पड़ेगा। यह फैसला कर्मचारियों के मनोबल को भी प्रभावित करेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग मुख्यमंत्री और सरकार को गुमराह कर रहे हैं।
वर्चुअल बैठक में कई कर्मचारी नेता शामिल हुए। इनमें महामंत्री राजीव चौहान और उपाध्यक्ष एलडी चौहान जैसे पदाधिकारी थे। विभिन्न जिलों और विभागों के प्रतिनिधियों ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया।
प्रदीप ठाकुर के नेतृत्व वाले गुट ने इस अधिसूचना को कर्मचारियों के साथ अन्याय करार दिया है। उन्होंने कहा कि शिष्टमंडल मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और प्रधान वित्त सचिव से मिलेगा। राज्य कार्यकारिणी ने इस आशय का निर्णय लिया है।
विनोद कुमार के गुट का मानना है कि सरकार ने पूरा अध्ययन करके यह फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से कुछ कर्मचारियों को फायदा नहीं मिला था। सरकार ने इसी को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है।
