Shimla News: हिमाचल प्रदेश सरकार को राज्य में लागू दस विभिन्न उपकरों से 762.13 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने विधानसभा में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इनमें से पांच उपकर पूर्व सरकार द्वारा लगाए गए थे जबकि कुछ वर्तमान सरकार ने लागू किए हैं।
उद्देश्यानुरूप व्यय की जाती है राशि
अग्निहोत्री ने सदन को स्पष्ट किया कि प्रत्येक उपकर एक निश्चित उद्देश्य से लगाया गया है। इसलिए उससे प्राप्त आय को उसी मद में व्यय किया जाता है। वित्त विभाग इस राशि को कहीं और खर्च नहीं कर सकता। सरकार जल्द ही इसके लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया भी जारी करेगी।
विधायकों ने उठाए गंभीर सवाल
विधायक बिक्रम ठाकुर ने सदन में सवाल उठाया कि कोविड समाप्त होने के बाद भी कोविड उपकर क्यों लिया जा रहा है। उन्होंने एंबुलेंस सेवा उपकर का भी जिक्र करते हुए पूछा कि जब उपकर से एंबुलेंस चल रही है तो मरीजों से किराया क्यों लिया जाता है।
गौवंश उपकर पर चिंता जताई
विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि उपकर लगने से निर्माण सामग्री महंगी हुई है। इसका सीधा प्रभाव आम आदमी पर पड़ रहा है। उन्होंने गौवंश उपकर का उल्लेख करते हुए कहा कि कई स्थानों पर तीन महीने से भुगतान नहीं मिला है।
सैस से कितना राजस्व हुआ अर्जित
- सैस का नाम, सैस से राजस्व प्राप्त, कब से लागू
- पंचायती राज संस्था, 1,53,57,58,045, 3 नवंबर, 1999,
- मोटर वाहन पर सैस 1,85,13,64,000, 1 अप्रैल, 2017
- गऊ धन विकास निधि, 65,35,61,484, 1 अगस्त 2018
- एंबुलेंस सेवा फंड, 16,97,16,447, 1 अगस्त 2018
- कोविड सैस, 1,45,12,53,032 1 जून 2020 से 2023
- मिल्क सैस, 1,12,76,10,710 1 अप्रैल 2023
- प्राकृतिक खेती सैस, 21.78 1 अप्रैल 2024
- दुग्ध उपकर, 21,41,043, 26 सितंबर, 2024
- मिल्क और पर्यावरण सैस, 4,78,83,431.43, 19 नवंबर, 2009
- लेबर सैस लोक निर्माण विभाग, 45,73,23,607, 4 दिसंबर 2009
- लेबर सैस पाॅवर कारपोरेशन, 287,24577, 2023
सरकार ने दिया विस्तृत जवाब
उप मुख्यमंत्री ने जवाब में कहा कि यह आम आदमी की सरकार है और किसी भी उपकर से जनता प्रभावित नहीं हुई है। गौवंश हेतु दी जाने वाली राशि 700 रुपये से बढ़ाकर 1200 रुपये कर दी गई है। जहां भुगतान में देरी हुई है, उसे शीघ्र जारी किया जाएगा।
