Shimla News: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने घोषणा की है कि सरकार सहकारी समितियों को जमीन खरीदने के लिए धारा-118 की अनुमति में रियायत देने पर विचार करेगी। यह घोषणा राज्य अतिथि गृह पीटरहॉफ में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सहकारी सम्मेलन के समापन समारोह में की गई। उन्होंने किसानों और ग्रामीणों के लिए सहकारी समितियों के योगदान को भी रेखांकित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सहकारी बैंक छोटे किसानों, बागवानों, मजदूरों और व्यापारियों को राहत देने के लिए वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी लाएगा। इस नीति का उद्देश्य ऋण लेने वालों के बोझ को कम करना है। यह कदम आर्थिक तंगी का सामना कर रहे लोगों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।
प्रदेश में वर्तमान में पांच हजार से अधिक सहकारी समितियां सक्रिय हैं। इनमें लगभग दो हजार प्राथमिक कृषि ऋण समितियां शामिल हैं। ये समितियां किसानों और ग्रामीणों को विभिन्न सेवाएं उपलब्ध करवा रही हैं। सहकारी आंदोलन ने राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कांगड़ा सहकारी बैंक में बदलाव
मुख्यमंत्री ने कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक में पिछली सरकार के कार्यकाल में हुई अनियमितताओं का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि इन धांधलियों के चलते वर्तमान सरकार ने पूरे बोर्ड को भंग करने का निर्णय लिया है। यह फैसला पारदर्शिता और अच्छे शासन को सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।
सुक्खू ने प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान का भी उल्लेख किया। पिछले तीन वर्षों में राज्य को लगभग बीस हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसके बावजूद सरकार ने विकास की गति को बनाए रखने का प्रयास किया है। उन्होंने सुनिश्चित किया कि आपदाओं का विकास कार्यों पर कोई असर न पड़े।
साइबर सुरक्षा और केंद्र सरकार का समर्थन
समारोह के दौरान मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक में साइबर सिक्योरिटी ऑपरेशन सेंटर का शुभारंभ भी किया। यह केंद्र बैंकिंग लेनदेन की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। डिजिटल युग में साइबर खतरों से निपटने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना की है। हिमाचल के किसी संस्थान को इससे जोड़ने पर राज्य को प्रशिक्षित मानव संसाधन मिलेगा।
गुर्जर ने कहा कि पहाड़ी राज्यों के लिए इस विश्वविद्यालय के साथ संबद्धता फीस में कमी लाने पर विचार किया जाएगा। इससे छात्रों को आर्थिक राहत मिलेगी। उन्होंने राज्य में पर्यटन को ध्यान में रखते हुए युवाओं को सहकार टैक्सी योजना से जोड़ने की बात कही।
उत्तराखंड के अनुभव और भविष्य की योजनाएं
उत्तराखंड सरकार में सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने अपने राज्य के अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि सहकारिता आज देश में एक बड़ी पहचान बन चुकी है। उत्तराखंड में दस लाख किसानों को सहकारिता के माध्यम से कृषि ऋण उपलब्ध कराया गया है।
रावत ने कहा कि उत्तराखंड में महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता दी जा रही है। राज्य में पंद्रह लाख लोगों को सहकारिता से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। इससे सामाजिक-आर्थिक विकास को गति मिलने की उम्मीद है।
केंद्रीय मंत्री गुर्जर ने प्रदेश में प्राकृतिक खेती की अपार संभावनाओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि किसान इससे आर्थिक रूप से लाभान्वित हो सकते हैं। प्राकृतिक खेती पर्यावरण के अनुकूल है और इससे उत्पादन की लागत कम होती है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने जोर देकर कहा कि कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और छोटी जोत के बावजूद हिमाचल प्रदेश में सहकारी संस्थाओं ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सहकारी आंदोलन की शुरुआत 1904 में हुई थी और 1971 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद सरकार ने सहकारिता को प्राथमिकता दी।
