Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के तकनीकी शिक्षा विभाग पर सात नए भवनों को बनाने के बाद उन्हें खाली छोड़ देने का आरोप लगा है। वर्ष 2018 से 2023 के बीच 126.45 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुए ये भवन न तो कक्षाएं संचालित होने के काम आ रहे हैं और न ही किसी अन्य कार्य के लिए। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है।
शिमला में आयोजित तकनीकी शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सिर्फ निर्माण के नाम पर सरकारी धन की बर्बादी बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने विभाग को निर्देश दिया कि जनहित में इन भवनों का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित किया जाए। राज्य की वर्तमान वित्तीय स्थिति को देखते हुए यह कदम और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
इन भवनों का निर्माण एडीबी प्रोजेक्ट के तहत रूरल लाइवलीहुड मिशन और सिटी लाइवलीहुड मिशन के अंतर्गत कराया गया था। इनका उद्देश्य व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना था। लेकिन ये महत्वाकांक्षी योजना जमीन पर सफल नहीं हो पाई।
ये हैं खाली पड़े भवनों के स्थान
ये सातों भवन जिले के विभिन्न दूरदराज के इलाकों में स्थित हैं। इनमें काजा, उदयपुर, जुब्बल, नालागढ़, बंगाणा, चौपाल और वाकनाघाट शामिल हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ भवन पूरी तरह खाली पड़े हैं। जबकि कुछ को तकनीकी शिक्षा विभाग ने संबंधित एजेंसियों को सौंप दिया है।
मुख्यमंत्री ने इस मामले में गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि सरकार वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। ऐसे में सरकारी धन की बर्बादी को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनका यह बयान राज्य में संसाधनों के कुशल प्रबंधन की सख्त जरूरत को रेखांकित करता है।
गुणवत्तापूर्ण तकनीकी शिक्षा पर जोर
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण तकनीकी शिक्षा प्रदान करना सरकार की प्राथमिकता है। बाजार की मांग के अनुरूप विद्यार्थियों को कुशल बनाने पर जोर दिया जा रहा है। इससे उनकी रोजगार क्षमता में वृद्धि होगी।
राज्य सरकार हिमाचल में नवाचार को बढ़ावा दे रही है। उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए ‘राज्य नवाचार और स्टार्टअप नीति-2025’ तैयार की जा रही है। इस नीति का उद्देश्य युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है।
संस्थानों को ग्रेडिंग सिस्टम
मुख्यमंत्री ने तकनी की शिक्षा विभाग को महत्वपूर्ण निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों और पालिटेक्निक कालेजों को ग्रेड प्रदान किए जाएं। यह ग्रेडिंग छात्रों के नामांकन, समग्र प्रदर्शन और उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर होगी।
इससे शिक्षण संस्थानों में प्रतिस्पर्धा का माहौल बनेगा। साथ ही शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार होगा। शिक्षा का यह मॉडल छात्रों को बेहतर अवसर प्रदान करेगा।
बिलासपुर में शुरू हुआ नया पाठ्यक्रम
बैठक मेंएक अच्छी खबर भी सामने आई। बिलासपुर जिले के बंदला स्थित हाइड्रो इंजीनियरिंग कालेज में एमटेक (ईवी-टेक) पाठ्यक्रम शुरू किया गया है। इस कोर्स में 30 छात्रों ने प्रवेश लिया है। इलेक्ट्रिक वाहन प्रौद्योगिकी में यह पाठ्यक्रम भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
मुख्यमंत्री ने इस नए पाठ्यक्रम की शुरुआत पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ऐसे आधुनिक पाठ्यक्रमों से छात्रों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
बिलासपुर में बनेगी डिजिटल यूनिवर्सिटी
राज्य सरकार घुमारवीं में एक डिजिटल यूनिवर्सिटी स्थापित करने पर विचार कर रही है। इसका पूरा नाम डिजिटल यूनिवर्सिटी आफ इनोवेशन, एंटरप्रन्योरशिप, स्किल एंड वोकेशनल स्टडीज प्रस्तावित है। इस परियोजना के लिए 258 बीघा भूमि चिह्नित की गई है।
यह विश्वविद्यालय नवाचार और कौशल विकास को बढ़ावा देगा। इससे क्षेत्र के युवाओं को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिल सकेगी।
प्रदेश कौशल विकास निगम की समीक्षा
बैठक में हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम और हिमाचल प्रदेश तकनीकी शिक्षा बोर्ड के कार्यों की भी समीक्षा की गई। इन संस्थानों की कार्य प्रणाली में सुधार लाने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए।
इस बैठक में तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी, हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम के राज्य संयोजक अतुल, विशेष सचिव तकनीकी शिक्षा सुनील शर्मा, निदेशक तकनीकी शिक्षा अक्षय सूद और विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
