Himachal News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने शहरी निकाय चुनावों को टालने की अवधि बढ़ाने का महत्वपूर्ण फैसला किया है। राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश नगरपालिका अधिनियम में संशोधन करते हुए नए अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसके तहत अब सरकार नए शहरी निकायों के चुनाव को छह माह के बजाय दो साल तक टाल सकेगी।
कैबिनेट ने लिया था निर्णय
यह निर्णय जुलाई के अंतिम सप्ताह में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया था। विधि विभाग ने 13 अगस्त को इस संशोधन अध्यादेश को अधिसूचित कर दिया है। हालांकि अध्यादेश जारी होते ही यह तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है। 18 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र में इसे औपचारिक रूप से पारित करवाया जाएगा।
क्या बदला है नियम में?
हिमाचल प्रदेश नगर पालिका अधिनियम की धारा 14 में संशोधन किया गया है। पहले के नियम के अनुसार, राज्य सरकार नए शहरी निकायों में अधिकतम छह माह तक चुनाव टाल सकती थी। नए संशोधन के बाद अब नगर पालिका का पहला चुनाव उसके अधिसूचित होने के दो वर्ष के भीतर कराया जा सकेगा।
नए शहरी निकायों पर असर
वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 14 से अधिक नए शहरी निकाय बनाए गए हैं। इनमें नगर पंचायत, नगर परिषद और नगर निगम शामिल हैं। राज्य में कुल 74 शहरी निकाय हैं, जिनमें शिमला नगर निगम को छोड़कर जनवरी में चुनाव प्रस्तावित हैं।
ओबीसी आयोग की भूमिका
कैबिनेट ने पुराने शहरी निकायों के लिए ओबीसी आयोग के गठन का भी निर्णय लिया है। आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही राज्य सरकार चुनाव आरक्षण रोस्टर को अंतिम रूप देगी। नए नियम के तहत नए शहरी निकायों में पहला चुनाव दो साल तक टालने की व्यवस्था की गई है।
मानसून सत्र में इस अध्यादेश पर विस्तृत बहस होगी और विधानसभा से इसे पारित करवाया जाएगा। यह संशोधन राज्य सरकार को शहरी निकाय चुनावों की प्रक्रिया में अधिक लचीलापन देगा।
