Himachal News: विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आपदा और आर्थिक संकट पर जमकर चर्चा हुई। इस दौरान एक विधायक ने राज्य की स्थिति सुधरने तक सिर्फ 1 रुपया वेतन लेने का ऐलान किया। विपक्ष ने सरकार पर राहत कार्यों में भेदभाव का आरोप लगाया। वहीं, मुख्यमंत्री ने केंद्र से मिले फंड का सच सदन के सामने रखा। हिमाचल प्रदेश के कर्ज में डूबने पर सभी ने चिंता जताई।
वेतन छोड़ने का बड़ा फैसला
भाजपा विधायक प्रकाश राणा ने सदन में बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि जब तक राज्य की आर्थिक हालत ठीक नहीं होती, वह केवल 1 रुपया वेतन लेंगे। सत्ता पक्ष और विपक्ष ने उनके इस फैसले का स्वागत किया। राणा ने सरकार को अपने खर्च कम करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश कर्ज के दलदल में धंसता जा रहा है। सरकार को आय के नए साधन जुटाने होंगे।
धारा-118 पर उठे सवाल
संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने राणा की बातों का समर्थन किया। उन्होंने माना कि हिमाचल प्रदेश कर्ज के जाल में फंसा है। चौहान ने धारा-118 को भ्रष्टाचार का बड़ा जरिया बताया। उन्होंने कहा कि यह वक्त आरोप लगाने का नहीं, बल्कि समाधान खोजने का है। पूर्व सरकार ने भी स्थिति सुधारने की कोशिश की थी।
राहत कार्यों में भेदभाव के आरोप
भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार ने सरकार पर गंभीर न होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मलबे को नदियों में फेंका जा रहा है। इससे बांधों का जलस्तर बढ़ रहा है। विधायक सुरेंद्र शौरी ने भी सरकार को घेरा। उनका कहना था कि आपदा बंजार में आई, लेकिन पैसा नादौन और देहरा भेजा गया। जिस जगह नुकसान हुआ, वहां मदद नहीं पहुंची।
केंद्र से नहीं मिली पूरी मदद
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्ष के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने बताया कि केंद्र की टीम ने 9,300 करोड़ के नुकसान का आकलन किया था। इसके बावजूद अभी तक सिर्फ 451 करोड़ रुपये ही मिले हैं। राज्य सरकार अपने संसाधनों से पीड़ितों की मदद कर रही है। मनाली और स्पीति के विधायकों ने भी पर्यटन और खेती के नुकसान का मुद्दा उठाया।
