Shimla News: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण जानकारी दी है। सरकार ने गंभीर बीमारियों से पीड़ित पेंशनरों के बकाया वेतन, पेंशन और ग्रेच्युटी के भुगतान की मंजूरी दे दी है। यह कदम अदालत के आदेशों का पालन करते हुए उठाया गया है।
महाधिवक्ता अनूप रतन ने अदालत को अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) के निर्देशों से अवगत कराया। इन निर्देशों के अनुसार, वित्त विभाग ने कैंसर और हृदय रोग जैसी जानलेवा बीमारियों से जूझ रहे पेंशनरों को राहत देने का फैसला किया है। इसके लिए पहले के कुछ नियमों में छूट प्रदान की गई है।
सरकार ने स्पष्ट किया कि गंभीर बीमारी वाले पेंशनरों को ग्रेच्युटी और छुट्टी के बदले नकदी की पूरी बकाया राशि जारी की जा रही है। इसका उद्देश्य पेंशनरों को उनके मेडिकल खर्चों में त्वरित सहायता प्रदान करना है। यह प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से पूरी की जाएगी।
मेडिकल प्रतिपूर्ति के दावों को निपटाने के लिए भी सरकार सक्रिय है। सभी सरकारी विभागों को इन दावों को समय पर निपटाने के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करवाई जा रही है। सरकार ने इस मामले को उच्च प्राथमिकता दिए जाने की बात कही है।
भुगतान की समयसीमा के बारे में महाधिवक्ता ने अदालत को आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि मंजूरी मिलने के बाद संबंधित विभागों को तुरंत भुगतान जारी करने के निर्देश दिए गए हैं। अनुमान है कि यह पूरी प्रक्रिया लगभग एक से दो सप्ताह में पूरी हो जाएगी।
न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की पीठ ने सरकार को एक निर्देश जारी किया। अदालत ने कहा कि अगली सुनवाई तक गंभीर रूप से बीमार पेंशनरों का बकाया और मेडिकल बिल का भुगतान सुनिश्चित किया जाए। अगली सुनवाई 15 अक्टूबर की तारीख तय की गई है।
अदालत ने अन्य सरकारी संस्थानों के वकीलों को भी निर्देश दिए। इनमें हिमाचल प्रदेश विधानसभा, विद्युत निगम और विश्वविद्यालय शामिल हैं। अदालत ने कहा कि इन संस्थानों को भी अपने पेंशनरों के बकाया भुगतान का सत्यापन करना चाहिए।
यह मामला मधु देशटा बनाम राज्य सरकार और अन्य से संबंधित है। इस मामले में उच्च न्यायालय लगातार पेंशनरों के हितों की रक्षा के लिए दिशा-निर्देश जारी कर रहा है। अदालत का मानना है कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों का सम्मान और कल्याण सुनिश्चित होना चाहिए।
राज्य सरकार ने अदालत में अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। सरकार का कहना है कि वह सभी देय और स्वीकार्य मेडिकल दावों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए वित्तीय प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
इस पहल से राज्य के सैकड़ों पेंशनरों और उनके परिवारों को राहत मिलने की उम्मीद है। गंभीर बीमारियों के इलाज में आने वाले भारी खर्च को यह राहत कुछ हद तक कम कर सकेगी। पेंशनरों के लिए यह एक सकारात्मक कदम साबित हो सकता है।
