Himachal News: हिमाचल प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने एक बड़ा फैसला लिया है। अब पंचायत चुनाव में भी विशेष मतदाताओं को घर बैठे वोट डालने की सुविधा मिलेगी। यह सुविधा सत्तर वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों और दिव्यांग मतदाताओं के लिए है। इससे पहले पंचायत चुनाव में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी।
आयोग ने इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए हैं। यह कदम समावेशी और सहभागी लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए उठाया गया है। इसका लक्ष्य है कि कोई भी मतदाता अपने मतदान के अधिकार से वंचित न रहे। इस व्यवस्था से चुनाव प्रक्रिया और अधिक सुगम बनेगी।
पहली बार पंचायत स्तर पर लागू होगी व्यवस्था
राज्य मेंविधानसभा और लोकसभा चुनावों में यह सुविधा पहले से उपलब्ध थी। अब पहली बार इसे पंचायत चुनावों तक विस्तारित किया जा रहा है। इससे स्थानीय निकाय चुनावों में भी बुजुर्ग और दिव्यांग जन सीधे भाग ले सकेंगे। यह व्यवस्था शत-प्रतिशत मतदान के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होगी।
जनवरी 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान एक समान प्रयास किया गया था। उस समय कोविड-19 से संक्रमित मतदाताओं के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे। निर्वाचन आयोग की टीमें मतदाताओं के घर पहुंची थीं। उस सफल अनुभव के आधार पर अब यह नीति बनाई गई है।
चुनाव प्रक्रिया के अन्य पहलू
पंचायत चुनावोंकी अभी कोई तिथि घोषित नहीं की गई है। चुनाव आयोग को अभी चुनाव कार्यक्रम जारी करना है। आरक्षण का रोस्टर भी अभी तक सार्वजनिक नहीं हुआ है। मतदाता सूचियों को भी अधिसूचित किया जाना शेष है। यह कार्य जिला उपायुक्तों द्वारा किया जाता है।
एक बार ये औपचारिकताएं पूरी हो जाएंगी, चुनाव की तारीखें तय होंगी। तब यह नई मतदान सुविधा स्वतः लागू हो जाएगी। इस पहल से ग्रामीण क्षेत्रों के वरिष्ठ नागरिकों को विशेष लाभ मिलेगा। दिव्यांगजन भी बिना किसी बाधा के अपने मत का प्रयोग कर सकेंगे।
लोकतंत्र में सहभागिता बढ़ाने का प्रयास
यह निर्णय लोकतांत्रिक प्रक्रियाको और अधिक व्यापक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुरूप राज्य आयोग यह कदम उठा रहा है। इससे मतदान प्रतिशत में वृद्धि की उम्मीद है। साथ ही यह सुनिश्चित होगा कि हर वर्ग की आवाज सुनी जाए।
इस व्यवस्था के तहत निर्वाचन कर्मचारियों की विशेष टीमें बनाई जाएंगी। ये टीमें पात्र मतदाताओं के घर जाएंगी। वहीं पर मतदान की समस्त कार्यवाही संपन्न कराई जाएगी। इस प्रक्रिया की पूरी सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी। मतदान का रहस्य भी बना रहेगा।
राज्य में पंचायती राज व्यवस्था
हिमाचल प्रदेश मेंपंचायती राज संस्थाओं का महत्वपूर्ण योगदान है। ये संस्थाएं ग्रामीण विकास की धुरी मानी जाती हैं। इनके चुनाव नियमित रूप से कराए जाते हैं। नई व्यवस्था से इन चुनावों में जनभागीदारी बढ़ेगी। स्थानीय स्वशासन को और मजबूती मिलेगी।
यह पहल देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण बन सकती है। लोकतंत्र का सही अर्थ है सभी की सहभागिता। शारीरिक अक्षमता या उम्र की बाधा अब मतदान में रुकावट नहीं बनेगी। यह निर्णय सामाजिक समावेशन के सिद्धांतों के अनुकूल है।
