Shimla News: हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने भीषण तबाही मचाई है। मौसम विभाग के अनुसार, राज्य में इस साल बारिश ने 125 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इस आपदा ने लोगों के मन में एक सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर ‘देवभूमि’ में ऐसा प्रलय क्यों आया?
पौराणिक मान्यताओं का जिक्र
स्थानीय ज्योतिषाचार्य और पौराणिक इतिहासकार इस तबाही के पीछे एक पौराणिक कथा का हवाला दे रहे हैं। उनका दावा है कि शिव पुराण में वर्णित जलंधर नामक दैत्य की शक्तियों के साथ छेड़छाड़ इस विनाश का कारण है। कथा के अनुसार, हिमालय का पहाड़ी क्षेत्र जलंधर के शरीर के टुकड़ों से बना है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण और चिंताएं
हालांकि, इस दावे से सहमति नहीं जताई जा सकती, लेकिन इन कथाओं में प्रकृति के संतुलन के लिए दिया गया संदेश स्पष्ट है। वैज्ञानिक भी हिमालय को एक जीवंत इकाई मानते हैं। अवैध निर्माण, अतिक्रमण और बेलगाम पर्यटन ने इस संतुलन को गंभीर रूप से बिगाड़ दिया है।
तबाही का भयावह नजारा
पूरे जुलाई महीने में राज्य के विभिन्न हिस्सों में भूस्खलन, बादल फटने और नदियों में उफान देखने को मिला। मंडी और चंबा जैसे क्षेत्र, जो सदियों से शांत थे, वहां भी भारी तबाही हुई। सड़कें बह गईं और चारधाम यात्रा जैसे महत्वपूर्ण मार्ग भी बाधित हुए।
प्रकृति से सबक लेने की जरूरत
इस आपदा ने एक बार फिर प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर रहने की सीख दी है। पौराणिक कथाएं चाहे जो कहें, लेकिन पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना मानव सभ्यता की जिम्मेदारी है। इस घटना से मिले सबक को याद रखना और उचित कदम उठाना भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।
